नयी दिल्ली: दिल्ली के अस्पतालों में रोगियों को मुश्किल समय का सामना करना पड रहा है क्योंकि करीब 15,000 रेजीडेंट डॉक्टर पर्याप्त जीवन रक्षा दवाओं, कार्य स्थल पर सुरक्षा और अपने वेतन के समय पर भुगतान की मांग करते हुए सोमवार को अनिश्चितकालीन हडताल पर चले गए.
राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज सहित केंद्र एवं दिल्ली सरकार तथा नगर निगमों द्वारा संचालित 20 अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टरों की हडताल से इनमें चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो गई हैं.
सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सक ने दावा किया कि हडताल से बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) और निजी वार्ड सेवाएं प्रभावित हुई हैं लेकिन आपात सेवा में बाधा नहीं आई है.
67 वर्षीय रोगी साजिद खान ने कहा, ‘‘मैं एक अस्पताल गया था क्योंकि मुङो बुखार, खांसी और जुकाम था लेकिन लौट कर वापस आना पडा क्योंकि वहां किसी डॉक्टर ने नहीं देखा.’’ डॉक्टरों के मुताबिक सरकार उनकी मांगों को पूरा करने में नाकाम रही है जिस बारे में वे पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिख चुके हैं.
दिल्ली सरकार ने बाद में दिल्ली सचिवालय में दो घंटे तक चली बैठक में हडताली डॉक्टरों की सभी 19 मांगें स्वीकार कर लीं. बैठक में करीब 25 रेजीडेंट डॉक्टर शरीक हुए.
हालांकि, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने हडताल नहीं तोडी और दावा किया कि आखिरी फैसला तभी किया जाएगा जब सरकार बैठक का विवरण सार्वजनिक करेगी.
बैठक में शरीक हुए एक हडताली डॉक्टर ने बताया, ‘‘हमे बैठक का विवरण अभी नहीं मिला है और इसकी समीक्षा करने के बाद ही कोई आखिरी फैसला किया जाएगा.’’
हालांकि एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हडताल उचित नहीं है जब हम सभी मांगों पर राजी हो गए हैं. यदि वे (डॉक्टर) कल सुबह से काम पर नहीं लौटे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.