अहमदाबाद : गुजरात सरकार ने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को उच्च न्यायालय में पूर्व मंत्री माया कोडनानी के खिलाफ मौत की सजा की मांग करने की इजाजत देने से इंकार कर दिया है. कोडनानी नरोदा पाटिया दंगा मामले में दोषी करार दी गयी हैं.
महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी के इस विचार के आधार पर फैसला किया गया कि कोडनानी के खिलाफ ‘‘कोई सीधा सबूत’’ नहीं है. कोडनानी और बजरंग दल के कार्यकर्ता बाबू बजरंगी को 30 अन्य के साथ 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के नरोदा पाटिया दंगा मामले में उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी. नरोदा पाटिया मामले में 96 लोग मारे गए थे. इस मामले में गुजरात उच्च न्यायालय में एसआईटी के विशेष वकील नियुक्त किए गए प्रशांत देसाई ने आज बताया, ‘‘महाधिवक्ता की राय के आधार पर राज्य के विधि विभाग ने विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर न करने और माया कोडनानी के खिलाफ मौत की सजा की मांग न करने का फैसला किया है.’’
देसाई ने कहा, ‘‘महाधिवक्ता ने राय दी है कि माया कोडनानी के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं है और उन्हें सिर्फ अन्य सबूतों के आधार पर दोषी करार दिया गया है. लिहाजा, राज्य सरकार को उनके मामले में मौत की सजा की मांग करने की बात नहीं सोचनी चाहिए.’’उन्होंने कहा, ‘‘बहरहाल, गुजरात सरकार ने बाबू बजरंगी और चार अन्य के लिए मौत की सजा की मांग करने की इजाजत एसआईटी को दे दी है. बजंरगी और चार अन्य को भी विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनायी थी.’’
इससे पहले, राज्य सरकार ने कोडनानी, बजरंगी और आठ अन्य के खिलाफ इस मामले में मौत की सजा मांगने की अनुमति एसआईटी को दे दी थी. लेकिन इस साल मई में दक्षिणपंथी ताकतों के दबाव की वजह से राज्य सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा और उसने मौत की सजा की अनुमति वापस ले ली और अब कोडनानी को छोड़कर बाकी के खिलाफ मौत की सजा मांगने की इजाजत एसआईटी को दे दी है. विधि विभाग के संयुक्त सचिव जे जे पंड्या ने एसआईटी के सदस्य आशीष भाटिया को 30 अगस्त को एक पत्र लिखा जो नरोदा पटिया मामले में अपीलों से जुड़े फैसले से संबंधित था. यह पत्र देसाई को 7 सितंबर 2013 को अग्रसारित किया गया था.
राज्य के विधि विभाग ने बजरंगी, सुरेश लंगड़ो, प्रेमचंद तिवारी, सुरेश नेतलेकर और मनु मरुदा के लिए मौत की सजा मांगने की इजाजत एसआईटी को दे दी है. इन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी.मोदी सरकार में मंत्री रह चुकीं कोडनानी को नरोदा पाटिया दंगा मामले में अगस्त 2012 में एक विशेष अदालत ने 28 साल जेल की सजा सुनायी थी. इसी मामले में बाबू बजरंगी को पूरी जिदंगी के लिए जेल की सजा सुनायी गयी थी जबकि आठ अन्य को 31 साल जेल की सजा सुनायी गयी थी.
इस मामले में 22 अन्य दोषियों को 24 साल जेल की सजा सुनायी गयी जबकि 29 आरोपियों को बरी कर दिया गया था. सूत्रों ने बताया कि विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने की इजाजत मिल जाने के बाद अब एसआईटी जल्द ही उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकती है.