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सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून को अधिसूचित किया

नयी दिल्ली : सरकार ने महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा कानून को अधिसूचित कर दिया है. इससे देश की 67 प्रतिशत आबादी को बेहद सस्ती दर पर खाद्यान्न पाने का कानूनी अधिकार मिलेगा.लोकसभा ने इस विधेयक को 26 अगस्त को पारित कर दिया जबकि राज्यसभा में इसे 2 सितंबर को मंजूरी मिली. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विधेयक […]

नयी दिल्ली : सरकार ने महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा कानून को अधिसूचित कर दिया है. इससे देश की 67 प्रतिशत आबादी को बेहद सस्ती दर पर खाद्यान्न पाने का कानूनी अधिकार मिलेगा.लोकसभा ने इस विधेयक को 26 अगस्त को पारित कर दिया जबकि राज्यसभा में इसे 2 सितंबर को मंजूरी मिली. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विधेयक को पिछले सप्ताह अपनी मंजूरी प्रदान कर दी. गजट अधिसूचना में कहा गया है, यह कानून 5 जुलाई, 2013 से प्रभावी हो गया है. इसमें कहा गया है कि खाद्य कानून लोगों को खाद्यान्न और पोषण सुरक्षा उपलब्ध करायेगा और सम्मान के साथ लोगों को जीवनयापन के लिए सस्ती कीमत पर गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न तक पहुंच सुनिश्चित करायेगा.

दुनिया में अपनी तरह के इस सबसे बड़े कार्यक्रम को लागू करने के लिए नियम कानूनों पर विचार विमर्श करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य के खाद्य मंत्रियों और सचिवों की बैठक आयोजित की है. दो दिन की यह बैठक 3 अक्तूबर से होनी है. इस नये कानून को सत्तारुढ़ कांग्रेस के अंदर पासा पलट योजना के रुप में देखा जा रहा है जबकि विपक्षी दलों ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले इसे एक राजनीतिक हथकंडा करार दिया है. इस विधेयक के तहत हरेक व्यक्ति को प्रतिमाह 5 किग्रा चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3 रुपये, 2 रुपये और 1 रुपये की दर से देने की गारंटी की गई है.

इस कानून के तहत गर्भवती, दुग्धपान कराने वाली मां और बच्चों को निर्धारित खाद्यान्न एवं पोषण सहायता की आपूर्ति नहीं किये जा सकने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा भत्ता प्राप्त करने के अधिकार की गारंटी भी की गई है. यह खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम दुनिया का विशालतम कार्यक्रम होगा जिस पर सरकारी सहायता का खर्च करीब 1,30,000 करोड़ रुपये बैठेगा. इसके लिए सालाना 6.2 करोड़ टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी.राशन कार्ड जारी करने के लिए 18 वर्ष अथवा इससे अधिक आयु की महिला को परिवार का मुखिया माना जायेगा. दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड ने कानून के प्रावधानों को लागू करने की घोषणा की है. आबादी के अनुमानों के हिसाब से लाभार्थियों की संख्या तय की जायेगी और प्राथमिक श्रेणी के परिवारों की पहचान के लिए प्रदेश सरकार दिशानिर्देश तैयार करेगी.

प्रत्येक प्रदेश सरकार ‘कॉल सेंटर’ और ‘हेल्पलाइन’ सहित न केवल आंतरिक शिकायत सुनवाई प्रणाली स्थापित करेगी बल्कि इस कानून के अमल की निगरानी और समीक्षा के लिए प्रदेश खाद्य आयोग की स्थापना करेगी. कानून के प्रावधानों के उपयुक्त तरीके से अमल के लिए स्थानीय प्रशासन जवाबदेह होगा.

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