जोधपुर : आसाराम ने अपने खिलाफ 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोपों से इंकार किया और कहा कि उसकी मेडिकल रिपोर्ट आरोपों की पुष्टि नहीं करती. अदालत ने उनकी याचिका पर सनुवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी.यहां की एक अदालत द्वारा 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद 72 वर्षीय आसाराम को कल जेल भेज दिया गया. पीड़िता द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने के बाद आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार किया गया.
आसाराम के वकील के. के. मेनन ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश (ग्रामीण) मनोज व्यास की अदालत में उनकी जमानत याचिका पर बहस के दौरान आरोप लगाया कि पुलिस ने मीडिया के दबाव में काम किया और जल्दबाजी में प्राथमिकी तैयार की.
बचाव पक्ष की दो घंटे की बहस सुनने के बाद मजिस्ट्रेट ने कहा कि मामले में सुनवाई कल भी जारी रहेगी और अभियोजन पक्ष को सुना जाएगा. मेनन ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘आसाराम के खिलाफ प्राथमिकी नहीं बनती क्योंकि इसमें कई खामियां हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘पीड़िता की एमएलसी (मेडिकल लीगल सर्टिफिकेट) कराने के बाद प्राथमिकी में कुछ अतिरिक्त चीजें हैं. एमएलसी रिपोर्ट लड़की के बयानों से मेल नहीं खाती. इसलिए मामला भादंसं की धारा 376 (बलात्कार के आरोप) के तहत नहीं आता.. लड़की का शील भंग नहीं हुआ.. यह जमानत योग्य है और मेरे मुवक्किल को जमानत दी जानी चाहिए.’’ आसाराम की याचिका पर जब सुनवाई हो रही थी तो उन्हें जोधपुर केंद्रीय कारागार से अदालत नहीं लाया गया.
आसाराम पर भादंसं की धारा 376, 342, 506 और 509, प्रिवेंशन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल ऑफेंसेज (पोओसीएसओ) की धारा 8 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 23 और 26 के तहत मामला दर्ज हुआ है.
बचाव पक्ष के वकील ने दावा किया कि पीड़िता नाबालिग नहीं है जैसा कि दावा किया जा रहा है और वास्तव में वह वयस्क है, इसलिए आसाराम के खिलाफ पोओसीएसओ के तहत मामला नहीं बनता.
एस. एन. मेडिकल कॉलेज में उनका यौन शक्ति परीक्षण किया गया था. घटना की कड़ियों को जोड़ने के लिए पुलिस उन्हें जोधपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर मनई आश्रम ले गई जहां लड़की का कथित रुप से यौन उत्पीडन हुआ था.