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तेलंगाना मुद्दा : लोकसभा में 9 सदस्य निलंबित

नयी दिल्ली : तेलंगाना मुद्दे पर आज संसद में फिर हंगामा हुआ. लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए आंध्र प्रदेश से तेदेपा के चार और कांग्रेस के पांच सदस्यों को गंभीर अव्यवस्था फैलाने के लिए निलंबित कर दिया.राज्यसभा में भी तेदेपा के दो सदस्यों को तेलंगाना मुद्दे पर सदन की कार्यवाही में […]

नयी दिल्ली : तेलंगाना मुद्दे पर आज संसद में फिर हंगामा हुआ. लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए आंध्र प्रदेश से तेदेपा के चार और कांग्रेस के पांच सदस्यों को गंभीर अव्यवस्था फैलाने के लिए निलंबित कर दिया.राज्यसभा में भी तेदेपा के दो सदस्यों को तेलंगाना मुद्दे पर सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाने के लिए निलंबित किया गया. ऐसा संभवत: पहली बार हुआ है कि एक ही सत्र में उन्हीं सदस्यों को दोबारा निलंबित किया गया है, जो नियम-374 ए के तहत पहले भी निलंबित किये गये थे.

लोकसभा में एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे बैठक दोबारा शुरु होने पर उपाध्यक्ष करिया मुंडा ने नारेबाजी कर रहे तेदेपा के निलंबित सदस्यों से आग्रह किया कि वे सदन से बाहर चले जाएं लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं सुनी और नारेबाजी करते रहे. इस पर मुंडा ने सदन की बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी.

बैठक दिन भर के लिए स्थगित किये जाने के बाद भी तेदेपा के तीन सदस्य एन क्रिस्टप्पा, एम वेणुगोपाल रेडडी और एन सिवाप्रसाद आसन के सामने जमे रहे. लोकसभा में तेदेपा के नेता नामा नागेश्वर राव नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज सहित विपक्षी नेताओं से सलाह मशविरा करते देखे गये.

इससे पहले सुबह सदन की बैठक शुरु होने पर अध्यक्ष ने तेदेपा सदस्य क्रिस्टप्पा, वेणुगोपाल रेडडी, के एन राव और सिवाप्रसाद तथा कांग्रेस के पांच सदस्यों ए साई प्रताप, अनंत वेंकटरामी रेडडी, एन राजागोपाल, एम श्रीनिवासुलू रेडडी और के बापी राजू को सदन की कार्यवाही में लगातार बाधा पहुंचाने के लिए निलंबित कर दिया.

आरटीआई संशोधन विधेयक पर आज लोकसभा में हो सकती है चर्चा
पारदर्शी कानून के तहत राजनीतिक दलों को सूचना उपलब्ध कराने से सुरक्षा प्रदान करने के लिए लाए जा रहे आईटीआई संशोधन कानून पर आज लोकसभा में चर्चा होने की संभावना है. सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2013-12 अगस्त को कार्मिक , लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने लोकसभा में पेश किया था. नारायणसामी आज इस विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए पेश करेंगे. लोकसभा की आज की कार्यसूची में इसे चर्चा और पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

इससे पूर्व 23, 24 , 26 और 29 अगस्त को आरटीआई संशोधन विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी थी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने राजनीतिक दलों को छूट प्रदान करने और इस संबंध में केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के एक आदेश को निषप्रभावी बनाने के लिए आरटीआई अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई थी.सीआईसी द्वारा छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों कांग्रेस,भाजपा, राकांपा, माकपा,भाकपा और बसपा को आरटीआई के दायरे के भीतर लाने का आदेश दिए जाने के करीब दो महीने बाद कैबिनेट का फैसला आया था. सरकार ने अधिनियम के अनुच्छेद 2 में संशोधन का प्रस्ताव रखा है जो राजनीतिक दलों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए लोक प्राधिकार की व्याख्या करता है.

सदन में लगातार हंगामा करने के कारण 23 अगस्त को पांच दिन के लिए निलंबित हो चुके इन सदस्यों ने आज सुबह कार्यवाही शुरु होते ही आसन के समक्ष आकर एकीकृत आंध्र के मुद्दे पर नारेबाजी शुरु कर दी. पिछले शुक्रवार को ही इनका निलंबन समाप्त हुआ था.

आंध्र प्रदेश से तेदेपा और कांग्रेस के ये सदस्य हाथों में प्लेकार्ड लिए हुए आसन के समक्ष आकर नारेबाजी कर रहे थे. तेदेपा सदस्य सिवप्रसाद ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का मुखौटा निकाल कर पहना और नारे लगाने लगे जिसका कांग्रेस सदस्यों ने विरोध किया. कुछ क्षण बाद उन्होंने मुखौटा उतार लिया.

अध्यक्ष ने पिछली बार की तरह ही नियम 374 ए के तहत हंगामा कर रहे इन नौ सदस्यों का नाम लिया. इस नियम के तहत जिन सदस्यों के नामों का उल्लेख किया जाता है वे कम से कम पांच दिन के लिए सदन से निलंबित माने जाते हैं.

अध्यक्ष मीरा कुमार ने नियम 374 ए के तहत इन सदस्यों के नाम लिए जाने के बाद कहा, आप लोग, अब सदन से बाहर जाइए.’’ इसके बाद अध्यक्ष ने कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

नियम 374 ए कहता है, नियम 373 और 374 में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी किसी सदस्य द्वारा अध्यक्ष के आसन के निकट आकर अथवा सभा में नारे लगाकर या अन्य प्रकार से सभा की कार्यवाही में बाधा डालकर लगातार और जानबूझकर सभा के नियमों का दुरुपयोग करते हुए घोर अव्यवस्था उत्पन्न किए जाने की स्थिति में अध्यक्ष द्वारा सदस्य का नाम लिए जाने पर वह सभा की सेवा से लगातार पांच बैठकों के लिए या सत्र की शेष अवधि के लिए, जो भी कम हो, स्वत. निलंबित हो जाएगा.’’ निलंबन की अवधि के दौरान ये सांसद संसद के केंद्रीय कक्ष में भी नहीं जा सकेंगे.

दोपहर दो बजे सदन की कार्यवाही पुन: शुरु होने पर आंध्र प्रदेश से तेदेपा के सदस्य अध्यक्ष के आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे. तेदेपा के चार सदस्यों को आज सुबह सदन से निलंबित कर दिया गया था. इसके बावजूद तीन सदस्य सदन के बाहर नहीं गये और कार्यवाही पुन: शुरु होने पर आसन के सामने आकर नारे लगाने लगे.

उपाध्यक्ष करिया मुंडा ने तेदेपा सदस्यों से कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ने सुबह नियम 374 ए के तहत आपका नाम लिया है और इस नियम के प्रावधान के तहत आप स्वत: सदन से आज से पांच दिन के लिए निलंबित हो गये हैं. ऐसी स्थिति में आप सदन में प्रवेश नहीं कर सकते और नारे नहीं लगा सकते.

इस बीच वामदलों के सदस्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों की मूल्यवृद्धि के फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए संप्रग सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ नारे लगाते हुए अगली पंक्तियों में आ गये. वे अपने अपने हाथों में प्लेकार्ड भी लिये हुए थे. हंगामा थमता न देख उपाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी.

उधर राज्यसभा में बैठक शुरु होने पर तेदेपा के सीएम रमेश और वाईएस चौधरी ने अपने स्थान से ही पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले पर विरोध जताना शुरु किया. उनके हाथों में पोस्टर थे.

पेट्रोल डीजल के दामों में वृद्धि का मुद्दा शून्यकाल में पहले उठाने के लिए तृणमूल कांग्रेस तथा कुछ अन्य दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण के कारण बैठक 11 बज कर करीब 8 मिनट पर 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई.

बैठक दोबारा शुरु होने पर रमेश और चौधरी आसन के समक्ष आ गए और तेलंगाना मुद्दे को लेकर विरोध जताने लगे. उनके हाथों में पोस्टर थे. उप सभापति पी जे कुरियन ने उनसे बार बार कहा कि वह सदन में पोस्टर न दिखाएं और अपने स्थानों पर लौट जाएं.

कुरियन ने नारे लगा रहे तेदेपा सदस्यों से कहा आप क्यों हर दिन मुङो बाध्य करते हैं कि मैं आपके खिलाफ कार्रवाई करुं.’’ उन्होंने कहा कि वह उस नियम को लागू करने पर मजबूर हो जाएंगे जिसके तहत दोनों सदस्य सदन से निलंबित हो जाएंगे.

अपनी बात का असर न होते देख कुरियन ने नियम 255 के तहत रमेश और चौधरी को पूरे दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया. इस नियम के तहत सभापति सदन की कार्रवाई बाधित करने वाले किसी भी सदस्य को दिन भर के लिए सदन से तत्काल चले जाने के लिए कह सकते हैं.

रमेश और चौधरी को सदन से निलंबित करने के बाद कुरियन ने 11 बज कर करीब 32 मिनट पर बैठक 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी. यह दोनों सदस्य मानसून सत्र की शुरुआत से ही आंध्रप्रदेश के विभाजन के फैसले का विरोध कर रहे हैं और दोनों को दो बार नियम 255 के तहत सदन से निलंबित किया जा चुका है.

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