हैदराबाद : चित्तूर एनकाउंटर केस में नैल्लोर में पुलिस ने 63 तमिल तस्करों को संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया है. वहीं दूसरी ओर इस केस की सुनवाई आज कोर्ट में हो सकती है जिसमें हैदराबाद हाईकोर्ट ने आंध्र प्रदेश के चित्तूर में कथित 20 चंदन तस्करों के एनकाउंटर करने वाले पुलिसवालों पर हत्या का केस दर्ज करने के आदेश दिया था. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि दफा 302 के तहत अप्राकृतिक हत्या का मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया है.
क्या है मामला
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में मंगलवार को दो मुठभेड़ों में पुलिस ने 20 चंदन तस्करों को मार गिराने का दावा किया था. मारे गये अधिकतर लोग तमिलनाडु के थे. मानवाधिकार संगठन सहित कुछ मीडिया घरानों की मानें तो पुलिस ने फर्जी मुठभेड में 20 मजदूरों को मार डाला है. पीएमके ने तमिलनाडु सरकार से उन लोगों की स्थिति का पता लगाने के लिए एक विस्तृत जांच की मांग की जो आंध्र प्रदेश में दिहाडी मजदूर के रूप में काम करने के लिए राज्य से रवाना हुए थे. पीएमके ने यह मांग आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा रक्त चंदन तस्कर होने के आरोप में 20 लकडहारों को मुठभेड में मार गिराने की पृष्ठभूमि में की है.
क्या कहा एस रामदास ने
पीएमके संस्थापक एस रामदास ने एक बयान में कहा कि इस जांच आयोग में पुलिस अधिकारी, वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं अन्य लोग होने चाहिए. उन्होंने कहा कि विल्लुपुरम और धर्मपुरी जिलों से आंध्र प्रदेश में निर्माण उद्योग में काम करने के लिये गये लोगों के रिश्तेदारों ने शिकायत की है कि वे कहां हैं इसकी जानकारी नहीं है जबकि ऐसे आरोप हैं कि रक्त चंदन माफिया ने उनमें से कई को बंधुआ मजदूर के रूप में रखा हुआ है. उन्होंने कहा, ‘इसलिए तमिलनाडु सरकार को आंध्र प्रदेश में दिहाडी मजदूर के रूप में काम करने के लिए राज्य से रवाना हुए लोगों की विस्तृत जांच करानी चाहिए. सरकार को ऐसे लोगों की एक सूची तैयार करनी चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि कहीं वे जेल में बंद तो नहीं हैं या उन्हें रक्त चंदन तस्करों द्वारा बंधुआ मजदूर बनाकर तो नहीं रखा गया है या मार तो नहीं दिया गया है.’ उन्होंने आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा 20 व्यक्तियों को मुठभेड में मार देने पर चिंता जतायी और पुलिस कर्मियों की उनकी ‘बर्बरता’ के लिए निंदा की और उनका समर्थन करने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की.