नयी दिल्ली : लंबे इंतजार के बाद ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक को लोकसभा ने आज पारित कर दिया. यह विधेयक देश की 82 करोड़ आबादी को सस्ता अनाज मुहैया कराने का प्रावधान करता है.विधेयक के कानून बनने के बाद खाद्य सुरक्षा योजना भूख से लड़ाई के मामले में दुनिया भर में सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा.
विधेयक को सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. इसे पांच जुलाई को जारी अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाया गया था. विधेयक के पारित होने के समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सदन में उपस्थिति थे. विधेयक पारित करने से पहले सदन ने विपक्ष की ओर से पेश संशोधनों का नामंजूर कर दिया.
इससे पहले विधेयक पर हुइ चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे इतिहास बनाने का अवसर’’ करार दिया और सभी दलों से पुरजोर अपील की कि वे आपसी मतभेदों को भुलाकर इस विधेयक को कानून की शक्ल देने में सहयोग करें. उन्होंने कहा, यह एक बड़ा संदेश देने का समय है कि भारत अपने सभी देशवासियों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उठा सकता है.’’कुछ दलों द्वारा विधेयक के प्रावधानों और इसे लागू करने के लिए भारी बजटीय आवंटन की जरुरत को लेकर उठाए गए सवालों के जवाब में सोनिया गांधी ने कहा, कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या हमारे पास साधन हैं ? सवाल ये नहीं है कि हमारे पास साधन हैं या नहीं.
हमें साधन जुटाने ही होंगे.’’विधेयक पर चर्चा के दौरान सोनिया और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित सभी दलों के प्रमुख नेता सदन में मौजूद रहे. लेकिन इस पर मतदान के समय सोनिया संभवत: अस्वस्थ होने के कारण सदन में नहीं थी.
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए खाद्य मंत्री के वी थामस ने इस आरोप से इंकार किया कि विधेयक का मसौदा तैयार करते समय राज्यों से विचार विमर्श नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि राज्यों से चार बार सलाह मशविरा किया गया था.
उन्होंने इन चिन्ताओं को भी खारिज किया कि नये उपायों से राज्यों के अधिकारों का हनन होगा. थामस ने कहा कि जब केंद्र और राज्य मिलकर काम करेंगे, तभी यह कानून सफल होगा. ‘‘हम देश की संघीय व्यवस्था को बनाये रखेंगे. हम इसे कमजोर नहीं करना चाहते.’’
विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिलने के बाद भारत दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में शामिल हो जाएगा, जो अपनी अधिकांश आबादी को खाद्यान्न की गारंटी देते हैं. 11,30,000 करोड़ रुपये के सरकारी समर्थन से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम दुनिया का सबसे बडा कार्यक्रम होगा. इसके लिए 6.2 करोड़ टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी. यह विधेयक प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलो चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3,2 और 1 रुपये प्रति किलो के तयशुदा मूल्य पर गारंटी करेगा.
अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर लगभग 2.43 करोड़ अत्यंत गरीब परिवारों को हालांकि 35 किलो खाद्यान्न प्रति परिवार प्रति माह मिलेगा.
कुछ राज्यों में इस तरह के उपाय बेहतर होने के बारे में सदस्यों द्वारा व्यक्त राय पर थामस ने कहा कि तमिलनाडु, केरल आदर्श हैं. हर राज्य आदर्श है. लेकिन हम उसे स्वीकार नहीं कर सकते. छत्तीसगढ़ में एक विशेष व्यवस्था काम कर सकती है लेकिन कोई जरुरी नहीं कि वही व्यवस्था तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी काम करे.
उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद भी उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य .एमएसपी. मिलना जारी रहेगा.
विधेयक पर चर्चा के दौरान व्यक्त आशंकाओं को दूर करते हुए थामस ने कहा कि एमएसपी बंद नहीं किया जाएगा…
मंडियों में जो भी अनाज आएगा, उसकी खरीद की जाएगी. थामस ने कहा कि भंडारण क्षमता 5.50 करोड़ टन से बढ़कर 7.5 करोड़ टन हो गयी जो 2014 15 तक 8.5 करोड़ टन हो जाएगी.
उन्होंने स्वीकार किया कि देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली .’पीडीएस’. कमजोर है लेकिन इसे सुधारने के लिए पिछले कुछ सालों के दौरान कदम उठाये गये हैं. थामस ने कहा कि फर्जी राशन कार्ड और लीकेज की समस्या से निपटा जा रहा है और पिछले चार साल में राशन काडोकी संख्या 22 करोड़ से घटकर 16 करोड़ रह गयी है.