नयी दिल्ली: माकपा ने देश की ‘खतरनाक’ वित्तीय स्थिति के लिए संप्रग सरकार की आज आलोचना की और आर्थिक नीति में तत्काल बदलाव करने की मांग करते हुए सरकार पर देश को 1991 के भारी वित्तीय संकट जैसी स्थिति की ओर ले जाने का आरोप लगाया.
माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने यहां पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक के दौरान संवाददाताओं को बताया, ‘‘प्रधानमंत्री स्थिति से निपटने में वस्तुत: विफल रहे हैं. हम सरकार से नीतियों में तत्काल बदलाव की मांग करते हैं.’’ रुपया, सेंसेक्स में तेज गिरावट एवं चालू खाते के घाटे में उल्लेखनीय वृद्धि के संबंध में पूछे गए सवालों पर उन्होंने रुपये में गिरावट के लिए सरकार की आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने कहा, ‘‘यदि यह दर (रुपये के मूल्य में गिरावट) जारी रहती है तो जल्द ही डालर के मुकाबले रपया 80 रुपये प्रति डालर के स्तर पर आ जाएगा.’’ येचुरी ने कहा कि सरकार की आर्थिक नीतियों से देश की अर्थव्यवस्था उसी जगह पहुंच गई है जहां यह 1991 की शुरआत में थी. तब देश को जबरदस्त वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा था. वर्ष 1991 में सरकार भुगतान में चूक करने के करीब पहुंच गई थी और उसका विदेशी मुद्रा भंडार उस बिंदु पर पहुंच गया था जब उसके पास महज तीन सप्ताह के आयात का भुगतान करने के लिए विदेश मुद्रा बची थी.