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पिछले आठ महीनों में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग में वृद्धि

नयी दिल्ली: पिछले साल मई में भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर हर दिन सैकडों आवेदन आ रहे हैं. मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि इस विषय पर पिछले आठ महीनों में समूचे देश से विभिन्न संगठनों से एक लाख से […]

नयी दिल्ली: पिछले साल मई में भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर हर दिन सैकडों आवेदन आ रहे हैं.

मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि इस विषय पर पिछले आठ महीनों में समूचे देश से विभिन्न संगठनों से एक लाख से अधिक निवेदन आए हैं, जिससे नोडल कृषि मंत्रालय को समस्या हो गई है कि वृहद संचार से कैसे निपटा जाए. राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री कार्यालयों सहित सांसदों को भेजे गए इन आवेदनों में से अधिकतर आवेदनों को कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले पशु विभाग को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है.
सूत्रों ने बताया कि इन आवेदनों में ‘गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए’ विशेष रुप से मांग की गई है.उन्होंने कहा कि इसके अलावा, धार्मिक त्योहारों के दौरान लाखों स्वस्थ गायों के वध को बंद करने एवं पडोसी देशों में इस जानवर की तस्करी को रोकने के लिए भी मांग की गई है. कुछ संगठनों ने यह भी मांग की है कि सरकार गाय को राष्ट्रीय जानवर घोषित करे, गोवधशालाओं के लिए दिए गए लाइसेंसों को निरस्त करे एवं विदेशी जानवरों के साथ देशी जानवर के संकरण पर रोक लगाने के साथ-साथ देश में इसकी सुरक्षा एवं संरक्षण पर ध्यान भी दे.
कृषि मंत्रालय इस मामले में ‘कार्रवाई रिपोर्ट’ को अंतिम रुप देने की प्रक्रिया में है, जिसे शीघ्र ही प्रधानमंत्री कार्यालय में पेश किया जाएगा. गोहत्या राज्य का मामला है. वर्तमान में अरणाचल प्रदेश, केरल, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड एवं लक्षद्वीप में गोहत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
सूत्रों ने बताया कि हर दिन बोरी भर कर आवेदन आ रहे हैं, जिसके चलते स्टाफ की कमी से जूझ रहे कृषि विभाग को इन पत्रों से निपटने एवं उनको फाइल करने में संघर्ष करना पड रहा है. इसके अलावा, इन पत्रों को सुरक्षित रखने के लिए जगह की कमी का भी सामना करना पड रहा है.
उन्होंने बताया, ‘‘कुछ पत्रों को एक ही संगठन के विभिन्न शाखा कार्यालयों द्वारा लिखा गया है. सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई)के अनुसार इन पत्रों को कम से कम तीन महीने तक सुरक्षित रखने की जरुरत है. उन्होंने बताया कि संप्रग शासन के दौरान मंत्रालय को इस मुद्दे पर एक महीने में मुश्किल से 15 से 20 आवेदनों को निपटाना पडता था, लेकिन राजग की सरकार के सत्ता में आने के बाद इनकी संख्या में भारी वृद्धि हो गई है.

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