नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी का समय गुजर जाने के बाद अधिकार के रुप में दावा नहीं किया जा सकता. अदालत ने आईएफसीआई के पांच पूर्व कर्मचारियों के संबंधियों को नौकरी देने के केंद्र सरकार के औद्योगिक न्यायाधिकरण के आदेश को खारिज कर दिया.
न्यायाधिकरण के अक्तूबर 2009 के आदेश के खिलाफ भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (आईएफसीआई) की याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने कहा, ‘‘ काफी समय गुजर जाने के बाद और संकट समाप्त होने के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी का दावा और पेशकश नहीं की जा सकती है.’’ अदालत ने इस संबंध में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी निहित अधिकार नहीं है और इसका इस्तेमाल भविष्य में किसी भी समय पर नहीं किया जा सकता है.
न्यायमूर्ति सांघी ने निगम की दलील को स्वीकार कर लिया जिसमें कहा गया है कि उसके पास पांच पूर्व कर्मचारियों के संबंधियों को नौकरी देने के लिए पद रिक्त नहीं हैं और उसके यहां तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या जरुरत से अधिक है. अदालत ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता की ओर से पेश किये गए तथ्यों से स्पष्ट होता है कि वित्तीय पुनर्गठन की कवायद के तहत कर्मचारियों की संख्या कम करने के लिए बार बार स्वत: सेवानिवृत्ति योजना का सहारा लेना पड़ा है.’’अदालत ने आईएफसीआई की उस दलील को स्वीकार कर लिया कि विशेष योजना और सरकार के दिसंबर 1976 के कर्मचारियों की नियुक्ति के नियमों में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति में संशोधन किया गया है.