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भारतीयों को कीड़े मकौड़े नहीं समझें बहुराष्ट्रीय कंपनियां: एफडीए वकील

मुंबई: खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) ने जानसन एंड जानसन को भारत में बच्चों के टेलकम पाउडर का उत्पादन फिर से शुरु करने की अनुमति देने की याचिका का विरोध करते हुए शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारतीय जनता को कीड़े मकौड़े नहीं समझना चाहिये. एफडीए ने 2007 में […]

मुंबई: खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) ने जानसन एंड जानसन को भारत में बच्चों के टेलकम पाउडर का उत्पादन फिर से शुरु करने की अनुमति देने की याचिका का विरोध करते हुए शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारतीय जनता को कीड़े मकौड़े नहीं समझना चाहिये.

एफडीए ने 2007 में एथीलीन आक्साइड के तत्वों के लिए टेलकम पाउडर की कुछ खेप की जांच नहीं करने पर जॉनसन के मुलुंड कारखाने को बंद करने का निर्देश दिया था. राज्य में एफडीए के इस कदम का समर्थन करते हुए वकील आशुतोष कुंबाकोनी ने कहा, बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारतीयों से कीड़े मकौडे (गिन्नी पिग्स) की तरह व्यवहार करना रोकना चाहिए.उन्होंने कहा, अगर यही घटना अमेरिका में हुई होती तो कंपनी को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते. न्यायाधीश एजे वजीफदार तथा एम एस सोनक की अदालत जानसन द्वारा एफडीए के आदेश के चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है. एफडीए ने मुलुंड कारखाने को 24 जून से बंद करने को कहा था. कंपनी ने अंतरिम राहत के रुप में इसके कारखाने को पुन: खोलने की अनुमति मांगी थी.

मार्च में एफडीआई ने पाया कि 2007 में बने बेबी टेलकम पाउडर का रोगाणुनाशन एथीलीन आक्साइड से किया गया है. इस रसायन को आमतौर पर कैंसर का कारण माना जाता है और इससे उल्टी जैसी शिकायतें भी सामने आती हैं.

एफडीए का कहना था कि कंपनी ने इस प्रक्रिया को उसके यहां पंजीबद्ध नहीं कराया. कंपनी ने अपीलीय प्राधिकरण में हारने के बाद एफडीए के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है.

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