नयी दिल्लीःभारत चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पचास हजार और सैनिकों की तैनाती करेगा. चीन से बार बार होती घुसपैठ, और चीन की बदनीयती के मद्देनजर भारतीय सेना पिछले काफी वक्त से एक ऐसी सेना की मांग कर रही थी जो एलएसी के हालात के मद्देनजर लड़ाई के लिए तैयार रहे. लिहाजा एलएसी पर सेना की लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने एक कोर के गठन को हरी झंडी दिखा दी है. इस कोर में 65 हजार करोड़ रुपए के खर्च से चीन की सीमा पर 50 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की जाएगी.
कभी लद्दाख में, कभी अरुणाचल में तो कभी भारतीय सीमा में घुसपैठ तो कभी वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन. ये कहानी है चीन की फौज की. लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा. चीनी फौज को भारतीय सीमा में कदम रखने के पहले हजार बार सोचना होगा. सरकार ने चीनी फौज की घुसपैठ और धमकियों को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर ली है. केंद्र सरकार ने चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC पर घुसपैठ रोकने के लिए भारतीय फौज की ताकत बढ़ाने का फैसला किया है. सरकार ने LAC पर सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए सेना की नई हमलावर कोर के गठन को मंजूरी दे दी है. इसके तहत भारत-चीन सीमा पर 50 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की जाएगी.
सरकार ने इस कोर के गठन के लिए 64 हजार करोड़ रुपए के बजट को हरी झंडी दिखा दी है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुआई में रक्षा मामलों से जुड़ी कैबिनेट समिति ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई. इस बैठक में कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों के अलावा थल सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह और वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल एन ए के ब्राउन भी मौजूद थे.
सेना की नई कोर का मुख्यालय पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में होगा. इस कोर के दो डिवीजन बिहार और असम में होंगे
जबकि इसकी यूनिट जम्मू-कश्मीर के लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में तैनात की जाएगी. जानकारी के मुताबिक वायुसेना भी अपने हल्के C-130 J हर्क्यूलिस विमान तैनात कर सकती है. ये कोर अगले 7 सालों में तैयार हो जाएगी.
फिलहाल भारतीय फौज के पास तीन हमलावर कोर हैं, जिन्हें पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. इन तीनों कोरों के मुख्यालय मथुरा, अंबाला और भोपाल में हैं. ये तीनों कोर रेगिस्तान और मैदानी इलाके में युद्ध के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं.
चीनी खतरे को ध्यान में रखकर बनाई जाने वाली सेना की ये पहली हमलावर कोर होगी. इस कोर में शामिल सैनिकों को पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में युद्ध के लिए खासतौर पर ट्रेनिंग दी जाएगी. क्योंकि चीन और भारत के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा का ज्यादातर हिस्सा पहाड़ी इलाकों में ही है.
चीनी फौज की तरफ से हो रही घुसपैठ की घटनाओं के बाद सरकार और सेना इस मुद्दे पर बेहद गंभीर हैं. यही वजह है कि सेना चीनी सीमा पर निगरानी को मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. फिलहाल चीन से सटे इलाके में सेना की दो डिवीजन तैनात हैं. सेना की एक डिवीजन में 10 से 20 हजार तक जवान होते हैं. सेना सीमा से सटे इलाके में हल्के होवित्जर तोप, हल्के टैंक और हेलीकॉप्टर तैनात करने की भी योजना बना रही है. सेना और एयरफोर्स पूर्वोत्तर क्षेत्र में बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल की तैनाती पर भी विचार कर रहे हैं. पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई हेलीपैड और एयर फील्ड का निर्माण किया जा चुका है.
चीन लंबे अरसे से अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में लद्दाख के कुछ हिस्सों पर अपना दावा ठोकता रहा है. पिछले कुछ महीनों के दौरान चीनी फौज की घुसपैठ भी बढ़ी है. इन्हीं सब वजहों ने सरकार को इस खतरे से निपटने की तैयारी के लिए मजबूर कर दिया. देखना ये होगा कि नई कोर के गठन के बाद भारतीय सरकार और फौज चीनी खतरे से कैसे निपटते हैं.