नयी दिल्ली: नालंदा विश्वविद्यालय और उसके शिक्षकों को कुशलता से कामकाज करने के लिए अपेक्षित विशेषाधिकार जल्द ही मिलेंगे. विश्वविद्यालय दुनिया भर से प्रतिभाओं की भर्ती कर सकेगा.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कल शाम हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में विदेश मंत्रालय और नालंदा विश्वविद्यालय के बीच समझौते पर दस्तखत के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी.
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने यहां संवादददाताओं को बताया कि इस समझौते से विश्वविद्यालय और उसके अकादमिक स्टाफ के सदस्यों को वे विशेषाधिकार हासिल होंगे, जो विश्वविद्यालय के कुशलता से कामकाज और परिचालन करने के लिए संपूर्ण ढांचा मुहैया कराने के लिए जरुरी माने जाते हैं. इससे विश्वविद्यालय दुनिया भर से प्रतिभाओं को रख सकेगा.
इस समझौते से आयोजक देश को विश्वविद्यालय परिसर को किसी घुसपैठ या नुकसान से बचाने के आवश्यक कदम उठाने की अनुमति होगी और आयोजक देश विश्वविद्यालय के कामकाज में मदद कर सकेगा. विश्वविद्यालय का मुख्यालय नालंदा में होगा.विश्वविद्यालय और उसकी परिसंपत्तियां, उसकी आय और अन्य संपत्ति सभी प्रत्यक्ष करों, सीमा शुल्क और आधिकारिक उपयोग के लिए आयातित या निर्यातित सामान पर लगने वाले प्रतिबंधों से मुक्त होगी.समझौता विश्वविद्यालय के कुलपति और अकादमिक स्टाफ को वेतन, भत्ते आदि के मद में कर से छूट देता है.
इसमें उचित वीजा हासिल करने का अधिकार शामिल है. आयोजक देश में विश्वविद्यालय में काम कर रहे लोगों को चल और अचल संपत्ति बनाने की आजादी होगी. उन्हें सीमा शुल्क, कर या अन्य लेवी से मुक्त आयात का अधिकार होगा. यह विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता केंद्र के रुप में काम करेगा. यह आधुनिक, वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीय ज्ञान और कौशल को मूलभूत मानव मूल्यों के साथ एकीकृत करेगा और व्यक्तियों एवं समाज के आध्यात्मिक जागरण के जरिए सार्वभौमिक मित्रता, शांति और संपन्नता को प्रोत्साहित करेगा.
थाइलैंड में 2009 में चौथे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान सदस्य देशों ने नालंदा विश्वविद्यालय को राष्ट्ररहित, मुनाफारहित, धर्म निरपेक्ष और स्वयं संचालित अंतरराष्ट्रीय संस्थान बनाने का समर्थन किया था, जिसका केंद्रबिन्दु महाद्वीपीय हो और जो एशिया के सभी देशों से प्रतिभाशाली और अत्यंत समर्पित छात्रों को साथ ला सके.