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संसद में गतिरोध खत्म, विपक्ष ने जिद छोड़ी

नयी दिल्ली : सरकार को संसद में बने गतिरोध को दूर करने में आज उस समय सफलता मिली जब विपक्ष ने कल सदन में वित्तीय कामकाज निपटाने के लिए सहमति जतायी. लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा बुलायी गयी विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक में गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में यह सफलता मिली.बैठक […]

नयी दिल्ली : सरकार को संसद में बने गतिरोध को दूर करने में आज उस समय सफलता मिली जब विपक्ष ने कल सदन में वित्तीय कामकाज निपटाने के लिए सहमति जतायी.

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा बुलायी गयी विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक में गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में यह सफलता मिली.
बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने संवाददाताओं को बताया, सभी वित्तीय कामकाज संसद में कल लिया जायेगा. उन्होंने इन आशंकाओं को खारिज कर दिया कि वित्तीय कामकाज निपटाए जाने के बाद संसद को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया जायेगा.

उन्होंने कहा, संसद को अनिश्चितकाल ( दस मई से पूर्व ) के लिए स्थगित करने की कोई बात नहीं हुई है. वित्त विधेयक के अलावा सदन के समक्ष काफी वित्तीय कामकाज लंबित है जिनमें रेलवे बजट और मंत्रालयों की अनुदानों की मांगें शामिल हैं.

लोकसभा अध्यक्ष की बैठक से पूर्व कमलनाथ ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले पांच दिन से संसद नहीं चल रही है. मुझे उम्मीद है कि सदन चलेगा. कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले तथा संयुक्त संसदीय समिति की मसौदा रिपोर्ट को लेकर संसद के दोनों सदनों को कई बार स्थगन का सामना करना पड़ा है.

भाजपा कोयलस ब्लाक घोटाले में उच्चतम न्यायालय को दी गयी सीबीआई की रिपोर्ट के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमाकहन सिंह तथा विधि मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे की मांग कर रहा है.

जेपीसी में विपक्ष के 15 सदस्यों ने अध्यक्ष पी सी चाको के खिलाफ अविश्वास जाहिर किया है और लोस अध्यक्ष से 2जी की मसौदा रिपोर्ट को लेकर उन्हें हटाये जाने की मांग की है. इस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृह मंत्री को क्लीन चिट दी गयी है.
राजनीतिक दलों के साथ बैठक के बाद कमलनाथ ने संवाददाताओं से बातचीत में संसद के बार-बार स्थगित होने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.

उन्होंने कहा, राजनीतिक दलों और हम सभी को यह याद रखना होगा कि संसद, सरकार की नहीं है, संसद कांग्रेस पार्टी की नहीं है, संसद सभी सांसदों की है और सभी राजनीतिक दलों की है. कमलनाथ ने कहा, जो कुछ भी बाहर कहा जा सकता है, जो मांगें बाहर उठायी जा सकती हैं, वे सदन के भीतर भी कही जा सकती हैं. संसदीय लोकतंत्र का यही मूल है.

खाद्य सुरक्षा विधेयक और भूमि अधिग्रहण विधेयक के हश्र के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि दोनों महत्वपूर्ण विधेयक देश की जनता के लिए हैं और जो भी इसमें बाधा डाल रहा है वह लोगों का भला नहीं कर रहा है.

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