राहुल गांधी को यूं तो युवा नेता माना जाता है और वह हैं भी. दूसरी ओर ये एक ऐसे महत्वपूर्ण परिवार से हैं जिसका भारतीय राजनीति में एक लंबा हस्तक्षेप रहा है. लेकिन किस्मत की मार ही कही जाय कि इन्हें ऐसे समय में लांच किया गया कि लांचिंग के सफलता की काफी कम संभावना थी. और हुआ भी वही. हाथ पकडकर कांग्रेस की श्रेणी में उन्हें सबसे आगे किया गया लेकिन इसके बावजूद मोदी लहर में उनके सारे अरमान बह गये.
यहां मामला उसके दर्द को बयां करने का नहीं है. मामला है आज राहुल गांधी का संसद में कार्यवाही के बाद मोदी के बारे मे दिये गये अपने युवा बयान का. राहुल चर्चा के बाद सदन से बाहर निकले ही थे की संवाददाताओं ने उन्हें घेर लिया. राहुल संसद के अंदर हो रहे कार्यवाही से क्षुब्ध थे ही सो बाहर आकर मीडिया के सामने भडास निकाल दी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि यहां केवल एक आदमी ही बोलता है. वह आदमी किसी और को बोलने ही नहीं देता है. उनका इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर था. हालांकि उन्होंने मोदी का नाम नहीं लिया था. दूसरी ओर उन्होंने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन पर भी भेदभाव का आरोप लगा दिये.
अब सवाल है कि राहुल को इतना गुस्सा क्यों आता है. यह पहली घटना नहीं है जब राहुल ने अपना गुस्सा दिखाया हो. इसके पहले भी उनके आक्रामक अंदाज देखे गये हैं. कई मामले में तो वे अपनी पार्टी के नेताओं पर ही भड़क उठे हैं. लेकिन राहुल के पहले का गुस्सा और अब के गुस्से में जानकार अंतर महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है कि पहले का गुस्सा या एंग्रीनेस स्वाभाविक था क्योंकि चुनाव का मौसम था. वैसे में वे नहीं चाहते थे कि पार्टी की छवि में कोई आंच आये. इसको लेकर वे कई मौकों पर अपनी ही पार्टी पर बरस पडे थे. लेकिन इस गुस्से के जानकार अलग मायने बता रहे हैं. आइये जानते हैं आखिर राहुल के इस तरह के भड़के अंदाज का क्या कारण है और कब-कब लोगों को उनके गुस्से का प्रकोप झेलना पड़ा है–
लोकसभा में अप्रत्याशित हार
राहुल गांधी ने सोचा नहीं होगा कि कांग्रेस की इस चुनाव में इतना बुरा हाल होगा. इसको लेकर भी उनमें अंदर से कुंठा रही होगी जो समय-समय पर गुस्से के रुप में बाहर निकल आता है. चूंकि इस चुनाव में कांग्रेस के पीएम पद के लिए पार्टी ने इन्हें ही आगे किया था. इसलिए उन्हें लगा कि कहीं न कहीं हार की जिम्मेदारी उन्हीं पर है.
विपक्ष के नेता का संवैधानिक दर्जा नहीं मिलना
एक और खराब स्थिति तब रही जब कांग्रेस लोकसभा में विपक्ष में भी बैठने लायक नहीं रही. उसे उतनी भी सीट नहीं मिल पायी जिससे पार्टी के खाते में लोकसभा में विपक्ष के नेता का संवैधानिक पद आ पाता. यह कांग्रेस के लिए काफी शर्मनाक स्थिति रही और इसको लेकर भी राहुल के मन में खीझ हो सकती है.
नटवर सिंह की हाल में आयी किताब
नटवर सिंह ने अपने हालिया किताब वन लाइफ इज नॉट इनफ में जो सनसनीखेज खुलासा किया उसको लेकर भी सोनिया से ज्यादा राहुल की छवि को धक्का लगा. अब सच्चाई जो भी हो लेकिन दुनिया के सामने आए इस सच ने राहुल की छवि एक कमजोर नेता के रुप में उजागर की है.
महंगाई पर चर्चा के दौरान राहुल का सोता हुआ वीडियो कैमरे में कैद
मोदी सरकार के गठन के बाद चल रहे बजट सत्र में महंगाई पर चर्चा के दौरान राहुल का सोता हुआ वीडियो कैमरे में कैद किया गया था. इस घटना ने भी राहुल के नेतृत्व क्षमता पर सवाल खडे कर दिये थे कि महंगाई जैसी संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा के दौरान पार्टी के इतने बडे नेता उसे सुनने, उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की जगह सो रहे थे.
राहुल का पार्टी पर ढीली होती पकड़
यहां जानकार राहुल के गुस्से की सबसे बडी वजह उनकी पार्टी पर ढीली पडती पकड को बता रहे हैं. पहले भी कई नेता उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा चुके हैं लेकिन हाल के दिनों में अब खुले रुप में यह मांग होने लगी है कि राहुल की जगह प्रियंका को आगे किया जाय. कल मंगलवार को इलाहाबाद में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खुले तौर पर राहुल की जगह प्रियंका गांधी को लाने को लेकर नारे दिये.
अब जिन्होंने पार्टी के लिए इतना कुछ किया और इसके बावजूद उन्हें इस तरह की समस्याओं से दो-चार होना पडे तो ऐसे में तो लाजमी है राहुल का गुस्सा आना.