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अब बहू और दामाद को भी उठानी होगी माता-पिता की जिम्मेदारी, कोताही की तो हो सकती है छह माह की जेल

माता-पिता की देखभाल का जिम्मा अब सिर्फ बेटे-बेटी पर ही नहीं होगा, बल्कि अब यह जिम्मेदारी बहू और दामाद को भी उठानी होगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरणपोषण के लिए सीनियर सिटिजन एक्ट-2007 को विस्तार देते हुए यह प्रावधान किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई […]

माता-पिता की देखभाल का जिम्मा अब सिर्फ बेटे-बेटी पर ही नहीं होगा, बल्कि अब यह जिम्मेदारी बहू और दामाद को भी उठानी होगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरणपोषण के लिए सीनियर सिटिजन एक्ट-2007 को विस्तार देते हुए यह प्रावधान किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी.

सरकार ने इस एक्ट में सजा के प्रावधान को भी तीन महीने से बढ़ाकर छह महीने कर दिया है. साथ ही गुजारा भत्ता की राशि के अधिकतम स्तर को भी हटा दिया गया है.एक्ट में देखभाल की परिभाषा में भी बदलाव लाया गया है और इसमें घर और सुरक्षा को भी शामिल किया गया है. गुजारा भत्ता की राशि का आधार बुजुर्गों, अभिभावकों, बच्चों और रिश्तेदारों के रहन-सहन के आधार पर किया जाएगा. इस बिल को लाने का मकसद बुजुर्गों का सम्मान सुनिश्चित करना है.

सरकार ने इसमें वरिष्ठ नागरिकों की बुनियादी जरूरतों, सुरक्षा एवं कल्याण प्रदान करने की बात कही गयी. इस संबंध में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जानकारी दी थी. इस बिल में जो प्रावधान है, वह दत्तक पुत्र-पुत्रियों और सौतेले बेटे-बेटियों पर भी लागू होता है. जानकारी के अनुसार यह बिल अगले सप्ताह संसद में पेश हो सकता है.

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