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NMC Bill के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से मिले हर्षवर्धन, काम पर लौटने का किया अनुरोध

नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से शुक्रवार को मुलाकात की और उनसे काम पर लौटने का अनुरोध किया. मंत्री ने कहा कि यह विधेयक डॉक्टरों, मरीजों, मेडिकल छात्रों तथा समाज के हित में है. केंद्रीय मंत्री की यह अपील ऐसे […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से शुक्रवार को मुलाकात की और उनसे काम पर लौटने का अनुरोध किया. मंत्री ने कहा कि यह विधेयक डॉक्टरों, मरीजों, मेडिकल छात्रों तथा समाज के हित में है.

केंद्रीय मंत्री की यह अपील ऐसे समय में सामने आयी है जब विभिन्न सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर इस विधेयक के खिलाफ लगातार दूसरे दिन भी हड़ताल पर हैं, जो चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र को नियमित करने की मांग कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि यह विधेयक नीमहकीमी को बढ़ावा देता है और यह गरीब विरोधी, छात्र विरोधी एवं अलोकतांत्रिक है. सरकार इस विधेयक को मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधारों में से एक बता रही है. इस विधेयक के पारित होने के बाद ‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग’ नामक एक नयी संस्था भ्रष्टाचार के आरोप को झेल रहे ‘मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया’ की जगह लेगी. बृहस्पतिवार को राज्य सभा में यह विधेयक पारित हो गया, जिसे वापस लोकसभा भेजा जायेगा ताकि दो संशोधनों का अनुमोदन हो सके.

शुक्रवार को डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी और इसे अनिश्चित काल तक जारी रखने की धमकी दी. वर्धन ने दिल्ली में एम्स और आरएमएल अस्पताल एवं फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि विधेयक में कुछ प्रावधानों को लेकर उनकी शंकाएं दूर करने की उन्होंने कोशिश कीं. वर्धन ने कहा, उन्होंने एम्स को नीट में शामिल किये जाने सहित कई सवाल किये. वे ‘नेक्स्ट’ पर भी स्पष्टता चाहते थे कि कैसे कोई इस परीक्षा के माध्यम से पीजी में दाखिला ले सकता है और साथ ही उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की व्याख्या को लेकर भी सवाल किया. विधेयक में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला तथा डॉक्टरी की प्रैक्टिस शुरू करने के लिए एक साझा अंतिम वर्ष एमबीबीएस परीक्षा नेशनल एक्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) का भी प्रस्ताव है.

मंत्री ने कहा, मैंने उनके सवालों का जवाब दिया और बताया कि कैसे एनएमसी काम करेगा तथा सामुदायिक स्वस्थ्य प्रदाताओं (सीएचपी) की भूमिका के बारे में भी उन्हें बताया. यह देखा गया है कि मध्यम स्तर के प्रैक्टिशनर के विचार को दुनियाभर में मान्यता मिली है और इस विचार को डब्ल्यूएचओ एवं ‘लांसेट’ पत्रिका ने भी मान्यता दी है. वर्धन ने अपनी दलील के समर्थन में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, चीन और अफ्रीका जैसे विकसित एवं विकासशील देशों का उदाहरण दिया कि ये देश भी ऐसी ही व्यवस्था का अनुसरण करते हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग यह फैसला करेगा कि कौन-कौन लोगों को प्रशिक्षित किये जाने की आवश्यकता है और कैसे उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली में शामिल किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि यह विधेयक ऐतिहासिक है और डॉक्टरों, मरीजों, मेडिकल छात्रों और देश के हित में है. उन्होंने डॉक्टरों से अपनी हड़ताल वापस लेने की अपील करते हुए ट्वीट किया, डॉक्टरों को मरीजों के प्रति अपने कर्तव्य से नहीं मुकरना चाहिए. एनएमसी विधेयक मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक दूरदर्शी क्रांतिकारी कदम है. यह डॉक्टर बनने के इच्छुक लोगों के लिए वरदान के समान है. जो लोग इसे समझ नहीं पा रहे हैं वे आने वाले वर्षों में इसके फायदे को जरूर महसूस करेंगे.

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