नयी दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों से सरकार के साथ कंपनी की कमाई में भागीदारी का पिछले सात साल का ब्योरा मांगा है. कंपनि यों को 2006-07 से लेकर पिछले वित्त वर्ष की अवधि के बारे में यह जानकारी 20 जून तक उपलब्ध करानी है.
उच्चतम न्यायालय के अगस्त, 2010 के आदेश का हवाला देते हुए कैग ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से निजी क्षेत्र की कंपनि यों का राजस्व भागीदारी ब्योरा और दस्तावेज तलब किया है ताकि उनका आकलन किया जा सके.
कैग ने ट्राई को लिखे पत्र में कहा है, दूरसंचार विभाग (डॉट) ने दूरसंचार सेवा प्रदाता ओं का 2006-07 से लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क के आकलन की प्रक्रिया शुरु की है. ऐसे में अब निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनि यों का राजस्व भागीदारी का ब्योरा मांगने का फैसला किया गया है.
सरकारी ऑडिटर ने ट्राई से दूरसंचार आपरेट रों को 2006-07 से 2012-13 की अवधि का राजस्व भागीदारी का ब्योरा देने का निर्देश देने को कहा है. पूर्व में निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनि यों ने कैग के नोटिस का विरोध किया था और ये कंपनियां अपने संगठन सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के जरिये अदालत चली गई थीं.
शीर्ष अदालत ने सीओएआई की याचिका खारिज करते हुए सीओएआई के सदस्यों को राजस्व भागीदारी या आडिटर द्वारा मांगी गई अन्य सूचनाएं उपलब्ध कराने को कहा था.