नयी दिल्ली : आप की विधायक अलका लांबा ने पार्टी नेतृत्व के साथ आपसी विश्वास का संकट बताते हुए लोकसभा चुनाव में आप उम्मीदवारों के प्रचार अभियान से स्वयं को अलग रखने का फैसला किया है.
लांबा ने बृहस्पतिवार को आप में अपने भविष्य की भूमिका का खुलासा करते हुए कहा कि वह पार्टी में रहते हुए बतौर विधायक जनता के बीच पूरी तरह से सक्रिय रह कर विकास कार्यों को आगे बढ़ायेंगी. उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीनों से आप नेतृत्व से नाराज चल रही लांबा ने 25 अप्रैल को अपनी भविष्य की योजना सार्वजनिक करने को कहा था. उन्होंने एक बयान में कहा, मुझे यह बताते हुए बेहद पीड़ा हो रही है कि दिसंबर से अब तक पिछले चार महीनों से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक मुझसे बात करना जरूरी नही समझा. समय मांगने पर समय देना भी देना जरूरी नही समझा और पार्टी के हर आधिकारिक कार्यक्रम से दूर रखा. इसके चलते मैंने फैसला किया है कि मैं आप उम्मीदवार के प्रचार में नहीं उतरूंगी, शायद पार्टी भी ऐसा ही चाहती है.
उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर उन्हें नजरंदाज करने का आरोप लगाते हुए कहा, मैंने तय किया है कि मेरे और पार्टी के बीच जो कुछ भी चल रहा है, उसका शिकार मैं अपनी जनता को नही होने दूंगी. इसलिए जनता के बीच पूरी तरह से सक्रिय रहते हुए विकास कार्यों को आगे बढ़ाती रहूंगी. लांबा ने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव में मदद के लिए दिल्ली बुलाने के आह्वान पर भी तंज कसते हुए कहा कि पार्टी की संगठनात्मक कमजोरी को दर्शाता है. केजरीवाल ने ट्वीट कर देश भर के कार्यकर्ताओं को छुट्टी लेकर दिल्ली आने की अपील की थी.
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लांबा ने कहा, अरविंद जी का ट्वीट देखकर बेहद दुख हो रहा है. उन्होंने कहा कि 2015 में जब देश भर के कार्यकर्ताओं को दिल्ली बुलाने की बात समझ आती थी. लांबा ने कहा, आज जब हमारी सरकार है, 66 विधायक हैं, नगर निगम पार्षद हैं, तीन राज्यसभा सदस्य हैं, फिर भी आज हमें देश भर के कार्यकर्ताओं को दिल्ली आने की अपील करनी पड़ रही है. उन्होंने केजरीवाल से पूछा कि यह अपील सार्वजनिक मंच से करना, दिल्ली आप इकाई की मात्र कमजोरी को ही दर्शाता है. आखिर ऐसी नौबत क्यों आयी? सोचिएगा.