पांच साल में भाजपा ने बढ़ा लिये 41 प्रतिशत वोट
त्रिपुरा में पांच साल में भाजपा शून्य से शिखर तक पहुंची है. 2013 के चुनाव में भाजपा को सिर्फ 1.54 फीसदी वोट मिले थे. सीटें एक भी नहीं थी. पांच साल बाद भाजपा को अकेले 43 फीसदी वोट और 35 सीटें मिली हैं. माकपा को करीब सात फीसदी वोट और 33 सीटों का नुकसान हुआ है. हालांकि भाजपा और माकपा के बीच वोट फीसदी का अंतर सिर्फ 0.3 फीसदी का है.
यदि भाजपा और सहयोगी आइपीएफटी को मिला दें तो दोनों का वोट शेयर 50.7 फीसदी का है. यानी माकपा की सरकार सात फीसदी के अंतर से चली गयी. यहां सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ. 25 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस यहां मुख्य विपक्षी दल थी. 2013 में वोट शेयर 36.5 फीसदी था, जो 2018 में घटकर सिर्फ 1.8 फीसदी रह गया है. पांच साल पहले उसके दस विधायक जीते थे, जिनमें से आठ टीएमसी और फिर भाजपा में शामिल हो गये.
पिछले 40 साल में त्रिपुरा में आठ चुनावों में वाम दल का वोट शेयर कभी भी 45 फीसदी से कम नहीं रहा. त्रिपुरा से भी सत्ता जाने के बाद वाम के पास अब केवल केरल ही रह गया है. त्रिपुरा में 1978 में पहली बार राज्य विस की 60 में से 56 सीटें जीतकर वाम सत्ता में आया था. नृपेन चक्रवर्ती के नेतृत्व में सरकार बनी थी. 1983 के विस चुनाव में वाम को 39 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस -टीयूजेएस गठबंधन और क्षेत्रीय पार्टी अमरा बंगाली बाकी सीटों पर जीतने में सफल रहे.
वाम का प्रदर्शन
वर्ष -सीटें
1983 -39
1988 -29
1993 -49
1998 -41
2003 -41
2008 -49
2013 -50
लेफ्ट किसी भी जगह के लिए राइट नहीं है
त्रिपुरा और नगालैंड में जीत से गदगद भाजपा प्रमुख अमित शाह ने शनिवार को कहा कि वामपंथियों के गढ़ त्रिपुरा और नागालैंड में जीत प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पूर्वोत्तर के लोगों के विश्वास की पुष्टि है. लेफ्ट देश के किसी भी हिस्से के लिए राइट नहीं है. भाजपा का स्वर्णिम युग तब होगा जब वह पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और कर्नाटक में जीत दर्ज करेगी. उन्होंने पार्टी कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,‘भाजपा की इस्ट एक्ट पाॅलिसी कारगर रही. अमित शाह ने कहा कि यह चुनाव परिणाम कर्नाटक और 2019 में आम चुनाव में भी जीत का संदेश दे दिया है.
सबसे कम अंतर से जीत
त्रिपुरा : रामनगर से सुरजीत दत्ता ने माकपा के रतन दास को 65 वोट से हराया
नगालैंड : मोकोकचुंग टाउन से एनडीपीपी के मेटसुबो जमीर ने अपने निकटम प्रत्याशी को 47 वोट से हराया
मेघालय : मेंदीपाथर से कांग्रेस के मार्थन संगमा ने एनपीपी के ग्लिवर्ट स्टेन को 11 वोट से हराया
साउथ तूरा सीट से एनपीपी के अगाथा के संगमा सिर्फ 18 वोट से जीते
हमने त्रिपुरा में ऐसे परिणाम की उम्मीद नहीं की. हम वाम की जीत की उम्मीद कर रहे थे, कम बहुमत से ही सही. 11 प्रतिशत ईवीएम मतदान वाले दिन काम नहीं कर रही थीं, इससे संदेह उत्पन्न होता है. त्रिपुरा में वाम मोर्चा के लंबे समय तक शासन के बाद शासन विरोधी लहर ने एक भूमिका निभायी होगी.
एस सुधाकर रेड्डी, महासचिव,भाकपा
प्रधानमंत्री ने त्रिपुरा में चार रैलियां कर कड़ी मेहनत की और हमारे प्रचार अभियान पर लगातार नजर रखी. जीत का पूरा श्रेय उन्हें ही जाता है. बदलाव के हमारे आह्वान का लोगों ने सकारात्मक जवाब दिया.
राम माधव, महासचिव,भाजपा
इसका श्रेय प्रधानमंत्री और शाह के कुशल चुनाव प्रबंधन और रणनीति को जाता है. पहली बार किसी ने उत्तर पूर्व के लिए नीतियां बनायीं.
येागी आदित्य नाथ, मुख्यमंत्री, यूपी
‘कभी-कभी तिलचट्टा भी पंख लगाकर मोर बनना चाहता है. ऐसे राज्य त्रिुपरा में जीत पर खुश होने की बात नहीं है जहां महज 26 लाख मतदाता हैं और दो संसदीय सीट हैं. साथ ही वोट का अंतर केवल पांच फीसदी है.’ चुनाव में माकपा के आत्मसमर्पण, गठबंधन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल की अनिच्छा का परिणाम है त्रिपुरा चुनाव
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल