नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि स्टिंग ऑपरेशन कानून लागू करने का कोई कानूनी तरीका नहीं है. प्रधान न्यायाधीश पी सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने आरके आनंद मामले में जनहित में किये गये स्टिंग ऑपरेशन को मंजूरी दी थी, लेकिन कानून प्रवर्तन के सभी मामलों के स्वीकार्य सिद्धांत के तौर पर इस तरह के तरीके को मंजूरी देने से जुड़े अनुपात को समझना मुश्किल है.
पीठ ने कहा, स्टिंग ऑपरेशन ने कुछ नैतिक सवाल खड़े किये हैं. पीडि़त को अपराध करने के लिए लालच दिया जाता है और इसके साथ पूरी गोपनीयता का भरोसा दिया जाता है. इन परिस्थितियों में यह सवाल खड़ा होता है कि किसी पीडि़त को कैसे अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जाये.