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मोदी सिर पर मैला ढो कर करें आध्यात्मिक अनुभव : कांग्रेस

जालंधर : कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सूरजेवाला ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी ने अपनी एक पुस्तक में दलितों और खासकर वाल्मीकि समुदाय के बारे में लिखा था कि समुदाय के लोग रोजी रोटी के लिए सिर पर मैला नहीं ढोते हैं. यदि ऐसा होता तो वह पीढी दर पीढी इस तरह काम […]

जालंधर : कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सूरजेवाला ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी ने अपनी एक पुस्तक में दलितों और खासकर वाल्मीकि समुदाय के बारे में लिखा था कि समुदाय के लोग रोजी रोटी के लिए सिर पर मैला नहीं ढोते हैं. यदि ऐसा होता तो वह पीढी दर पीढी इस तरह काम जारी नहीं रखते…यह काम उनके लिए अनजाने में ही सही लेकिन एक आध्यात्मिक अनुभूति के समान है.

उन्होने पत्रकारों से बातचीत करते हुये दावा किया कि मोदी ने 2007 में प्रकाशित अपनी पुस्तक कर्मयोगी में दलितों खास कर वाल्मीकि समुदाय के बारे में लिखा है, मैं नहीं मानता कि वे रोजी रोटी के लिए सिर पर मैला ढोते हैं. यदि ऐसा होता तो वह पीढी दर पीढी इस तरह काम जारी नहीं रखते.

मुझे लगता है कि सदियों से मैला ढोने का यह काम उनके लिए अनजाने में ही सही लेकिन एक आध्यात्मिक अनुभूति के समान है. उन्होने आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा मोदी को लगता है कि सिर पर मैला ढोने से दलित समाज अगर आध्यात्मिक अनुभव की अनुभूति करते हैं तो वह स्वयं भी ऐसा कर उस अनुभूति की प्राप्ति क्यों नहीं करते हैं. मोदी बतायें कि वह ऐसा क्यों नहीं करते हैं.

इसी का हवाला देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार से पूछा, अगर ऐसा है तो मोदी भी सिर पर मैला ढो कर इस आध्यात्मिक अनुभूति की प्राप्ति क्यों नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि मोदी और बादल खुद को दलितों का हितैषी मानते हैं लेकिन यही दोनों उनके सबसे बडे शत्रु हैं. दोनों दलित विरोधी हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि मोदी और बादल दोनों दलित विरोधी हैं. आंकडे बताते हैं कि पंजाब में दलितों के लिए लगभग 40 हजार पद और गुजरात में दलितों तथा आदिवासियों के लिए लगभग 28 हजार पद आज भी रिक्त है. इन पर भर्तियां नहीं हो पायी है. यह दोनों सरकारों की दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाती है. गुजरात के अहमदाबाद में 3125 दलित बच्चों को तो आज तक छात्रवृत्ति नहीं दी जा सकी है.

उन्होंने दोनों सरकारों पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा, पंजाब में 33 फीसदी दलित हैं लेकिन दलित कल्याण योजनाओं पर बजट आवंटन का केवल 12 फीसदी खर्च होता है. बादल सरकार 27 फीसदी से अधिक धन आवंटन करने और खर्च करने का दावा करती है लेकिन अधिकतर धन दूसरी योजनाओं के मद में खर्च कर दिया जाता है. गुजरात में दलितों की आबादी 14 फीसदी है और वहां बजट में साढे पांच फीसदी से कम धन दलित योजनाओं के लिए आवंटित किया जाता है.

उन्होंने प्रदेश की शिअद भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि दलितों के आवंटित पैसा खर्च नहीं हो पाया है और वह बिना उपयोग किये खत्म हो जाता है. कांग्रेस के तेत तर्रार प्रवक्ता ने यह भी कहा कि पंजाब में पिछले पांच साल में दलित सब प्लान योजना के तहत लगभग 5.5 हजार करोड रुपये खर्च ही नहीं हुए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मोदी, राजनाथ और बादल को दलित विरोधी गतिविधियों के लिए दलितों से माफी मांगनी चाहिए.

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