नयी दिल्ली : चुनाव प्रचार के लिए योग शिविरों के उपयोग से चिंतिंत चुनाव आयोग ने आज जिला प्रशासनों से कहा कि यदि उन्हें ऐसी संभावना लगती है कि ऐसे शिविर किसी खास दल के पक्ष में प्रचार के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं तो वे उसे अनुमति नहीं देने के उसके आदेश का कडाई से पालन करें.
जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) को जारी इस नवीनतम निर्देश से कुछ दिन पहले आयोग ने राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से योगशिविर जैसे शिविरों का चुनाव प्रचार के लिए दुरुपयोग रोकने का निर्देश दिया था. आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘आज हमने डीईओ से 18 अप्रैल के अपने आदेश का कडाई से पालन करने को कहा जो राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के लिए जारी किया गया था.’’ कई राजनीतिक दलों ने शिकायत की थी कि योगगुरु रामदेव भाजपा के पक्ष में प्रचार करने के लिए अपने कार्यक्रमों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
आयोग ने कहा कि उसे पता चला कि कुछ स्थानों पर कुछ संगठनों ने योग शिविरों जैसी गैर राजनीतिक गतिविधियों के लिए अनुमति मांगी थी लेकिन उस मंच का उपयोग राजनीतिक प्रचार के लिए किया गया जो उन शर्तों का खुला उल्लंघन है जिनके आधार पर अनुमति दी गयी थी. चुनाव आयोग ने सभी राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से कहा कि वे ऐसे शिविरों के लिए अनुमति देने से पहले आयोजकों के अतीत की अच्छी तरह पडताल कर लें.
उसने कहा, ‘‘यदि ऐसे दुरुपयोग की संभावना हो या फिर आयोजक या सहभागी ने पिछले अवसरों पर ऐसी अनुमति का दुरुपयोग किया हो तो अनुमति नहीं दी जाए.’’ उसने अपने अधिकारियों से ऐसे उल्लंघन की शीघ्र ही सूचना देने को कहा. कांग्रेस उम्मीदवारों ने आयोग से शिकायत की थी कि योगगुरु रामदेव और आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रवि शंकर के शिविरों का भाजपा और नरेंद्र मोदी के पक्ष में उपयोग किया जा रहा है तथा चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक उस पर रोक लगायी जाए. हाल ही में रामदेव के एक शिविर को मोदी ने संबोधित किया था जिसके बाद योगगुरु को चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का नोटिस थमाया था.