!!तृप्ति शुक्ला!!
सर्वप्रथम मैं आपको दुनियाभर की गालियों से संबोधित करना चाहती हूं, लेकिन लगभग सभी गालियां मां-बहन के नाम ही होती हैं, इसलिए उनसे बच रही हूं. पिछले दिनों रेप की सजा पर आपका वक्तव्य पढ़ा. आपने कहा कि लड़के हैं, गलती हो जाती है.. रेप कर दिया है तो क्या जान ले लोगे.. वगैरह, वगैरह. नहीं, जान मत लो, बिलकुल मत लो, क्योंकि फांसी की सजा से खून होने तो बंद हो नहीं गए हैं, तो रेप क्या खाक बंद होंगे. रेपिस्ट को जैसा ट्रीटमेंट मिलना चाहिए, उस तरफ आपकी वोट बैंक की तलाश में लगी बुद्धि सोचना नहीं चाहेगी, इसलिए उस पर आपसे बात करना बेकार है. आपको उतनी अकल होती, तो अब तक आप प्रधानमंत्री न सही तो भी कम से कम समाज के एक सम्मानित व्यक्ति तो बन ही गए होते.
खैर, अब वापस आते हैं आपके कुविचारों को झलकाते आपके वक्तव्य पर. आपके वक्तव्य से साफ पता चल रहा है कि अब आप हिंदू-मुस्लिम भेदभाव समाप्त करने की दिशा में अपना पहला कदम बढ़ा रहे हैं. अब आपकी नजर न केवल मुसलिम वोट बैंक पर है, बल्कि अन्य सभी धर्मों, जातियों और राज्यों के मतदाताओं पर आ गड़ी है. अब आप हिंदू-मुसलिम का भेद किए बिना हर धर्म, जाति और राज्य के मतदाता को अपने वोट बैंक में शामिल करना चाहते हैं.यही वजह है कि अब आप इस देश में एक नया वोट बैंक बोले तो ‘रेपिस्ट वोट बैंक’ तैयार करना चाहते हैं. रेपिस्ट तो हर धर्म, हर जाति और देश के हर कोने में मिल ही जाएंगे. रेपिस्टों के प्रति आपकी यह सहानुभूति आपको न केवल उनका वोट दिलवाएगी, बल्कि उनके परिवार के बाकी सदस्यों का भी वोट दिलवाएगी.
आपकी सहानुभूति और इन रेपिस्टों को बढ़ावा मिलता देखकर और लोग भी रेप करने के लिए प्रोत्साहित होंगे और आपका वोट बैंक दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की करेगा. अब मुझे कोई उम्मीद नहीं है कि फिरोजाबाद के गांव की वो 2 बार की गैंगरेप विक्टिम अगर आप तक फरियाद लेकर पहुंच भी गई, तो आप उसका कुछ भला कर पाएंगे. उल्टे शक और गहरा हो रहा है, कि आप तक फरियाद लेकर पहुंचने के बदले में कहीं उसका तीसरी बार गैंगरेप न हो जाये और आप कह दें कि लड़के थे, गलती हो गई, तो अब क्या सब जगह शिकायत करती फिरोगी. मुझको तो डर लग रहा है कि इस समय वह जिंदा भी है या..खैर, आपके इस वक्तव्य ने इस देश के रेपिस्टों के मन में एक आशा की किरण तो जगा ही दी होगी, तो उतने वोट और गए आपके खाते में. और तो और, आपकी पार्टी के कुछ कार्यकर्ता भी चौगुने उत्साह से आपके प्रचार-प्रसार में जुट जाएंगे, क्योंकि हैं तो वे भी लड़के ही, और आप उनको खुल्ला ऑफर भी दे रहे हो, तो वे भी सोचेंगे कि नेताजी जब दूसरे लड़कों के बारे में इतनी सहानुभूति रख सकते हैं, तो फिर वे तो आपकी ही पार्टी के लड़के ठहरे. भविष्य में कभी कोई ‘गलती’ हो गई, तो आप तो हो ही संभालने के लिए. नेताजी, कभी-कभी सोचती हूं, तो बड़ा अफसोस होता है कि आपकी आत्मा को आपकी मृत्यु के बाद भी इसी लोक में जाने कब तक भटकना पड़े, क्योंकि आपकी अंतिम इच्छा (जो कि प्रधानमंत्री बनने की है) कभी पूरी नहीं होगी. आज मैं ये पूरे दिल से चाह रही हूं, कि भले ही मनमोहन तीसरी बार पीएम बन जाएं, लेकिन आपको यह कुर्सी कभी नसीब न हो. आमीन!
(उनकी फेसबुक वाल से..)