नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को आयकर अधिकारियों को हिदायत दी है कि वे ईमानदार करदाताओं से मित्रवत व्यवहार करें, उन्हें ज्यादा परेशान न करें. इसके साथ ही उन्होंने कर अधिकारियों को लेकर डर को समाप्त करने और देश को अधिक कर अनुपालन वाला देश बनाने के अपने प्रयास के तहत उन्होंने यह बात कही. प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर अधिकारियों के संयुक्त सम्मेलन ‘राजस्व ज्ञान संगम ‘ की दूसरी बैठक का उद्घाटन करते हुए मोदी ने उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि आजादी के बाद सबसे बड़े कर सुधार जीएसटी का लाभ कीमतों में कमी के रूप में आम लोगों तक पहुंचना चाहिए.
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बंद कमरे में दो दिन चलने वाली बैठक में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) तथा केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं. सीबीईसी ने ट्विटर पर लिखा है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर अधिकारियों को ईमानदार करदाताओं के प्रति मित्रवत रहने का निर्देश दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मई, 2014 में सत्ता आने के बाद से ही करदाताओं को आश्वासन देते रहे हैं कि वह जवाबदेही और उत्तरदायित्व निर्धारित करके करदाताओं में अधिकारियों को लेकर जो डर है, उसे समाप्त करेंगे.
इस संबंध में जो उपाय किये गये हैं, उसमें भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये करदाताओं और अधिकारियों के बीच कम-से-कम आमना-सामना सुनिश्चित किया जाना शामिल है. इसके लिए रिटर्न की आसान ऑनलाइन फाइलिंग और दावा राशि की वापसी के साथ कागज रहित ई-मेल आधारित ई-जांच शामिल है. सीबीईसी ने कहा कि मोदी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के सुचारू क्रियान्वयन के लिए केंद्र एवं राज्य के अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की. एक जुलाई से लागू जीएसटी से समूचा भारत एक साझा बाजार बना है और कर पर कर का प्रभाव समाप्त हुआ है.
सीबीईसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा है कि जीएसटी का लाभ आम लोगों को मिलना चाहिए. अपने संबोधन में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी को वास्तविक रूप देने के लिए केंद्रीय तथा राज्य कर अधिकारियों की सराहना की. सीबीईसी ने कहा कि उन्होंने दूरदर्शी नीतियों और प्रेरणा के लिये मोदी को धन्यवाद भी दिया. वित्त मंत्रालय के अनुसार, दो दिन चलने वाले राजस्व ज्ञान संगम का मकसद नीति निर्माताओं और क्षेत्रीय कार्यालयों में काम करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के बीच संवाद स्थापित करना है, ताकि राजस्व संग्रह बढ़े और कानून एवं नीतियों का क्रियान्वयन सुगम हो.