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पार्टियों ने ‘‘बदला’’ टिप्पणी के कारण मोदी, शाह को बताया फासीवादी, तानाशाह

नयी दिल्‍ली : नरेन्द्र मोदी के करीबी सहयोगी अमित शाह द्वारा पश्चिम उत्तर प्रदेश के दंगा प्रभावित जिलों में की गयी ‘‘बदला’’ संबंधी टिप्पणी के कारण भाजपा आज विभिन्न राजनीतिक दलों के निशाने पर आ गयी. कांग्रेस ने मांग की है कि शाह को गिरफ्तार करना चाहिए और ‘‘सांप्रदायिक आग भडकाने’’ के कारण उनके द्वारा […]

नयी दिल्‍ली : नरेन्द्र मोदी के करीबी सहयोगी अमित शाह द्वारा पश्चिम उत्तर प्रदेश के दंगा प्रभावित जिलों में की गयी ‘‘बदला’’ संबंधी टिप्पणी के कारण भाजपा आज विभिन्न राजनीतिक दलों के निशाने पर आ गयी. कांग्रेस ने मांग की है कि शाह को गिरफ्तार करना चाहिए और ‘‘सांप्रदायिक आग भडकाने’’ के कारण उनके द्वारा प्रचार पर रोक लगा दी जानी चाहिए.

समाजवादी पार्टी ने मोदी और उनके सहयोगी को ‘‘फासीवादी’’ बताया जबकि बसपा ने आरोप लगाया कि भाजपा के प्रधानमंत्री प्रत्याशी शाह के जरिये माहौल बिगाड रहे हैं और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रहे हैं जबकि उन्होंने स्वयं विकास का मुखौटा पहन रखा है.

भाजपा के पूर्व सहयोगी जदयू ने कहा कि शाह किसी तानाशह की तरह बोल रहे हैं. उसने आरोप लगाया कि भाजपा अल्पसंख्यक समुदाय के मन में भय पैदा करने की कोशिश कर रही है.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘भाजपा, मोदी और अमित शाह घृणा और सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति को दोहराने का प्रयास कर रहे हैं जैसा कि 2002 में गुजरात में हुआ था.

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘हम राज्य सरकार और चुनाव आयोग से मांग करेंगे कि अमित शाह और मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी विधायक सुरेश राणा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाये और उन्हें देश के किसी भी हिस्से में चुनाव प्रचार से रोका जाये. उन पर पूरा प्रतिबंध लगाया जाये. इस मामले को चुनाव आयोग में ले जाते हुए कांग्रेस ने एक बयान में मांग की कि ‘‘कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए जिसमें राजनीतिक दल (भाजपा) की मान्यता समाप्त किया जाना शामिल है. ऐसा करना मौजूदा परिस्थिति में सर्वाधिक उपयुक्त होगा. ’’पार्टी ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए भाजपा एवं मोदी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि सोनिया गांधी एवं जामा मस्जिद के शाही इमाम की मुलाकात के कारण कांग्रेस पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाने वाली भाजपा को यह जवाब देना चाहिए कि क्या वह यह मानती है कि शाह का भाषण ‘‘सांप्रदायिक और भडकाउ था या मेल मिलाप को बढावा देने वाला.’’ पार्टी के उम्मीदवार एवं प्रवक्ता राज बब्बर ने सपा एवं भाजपा, दोनों पर धार्मिक आधार पर उत्तर प्रदेश के लोगों को बांटने का प्रयास करने के आरोप लगाये.

भाजपा ने बयान का बचाव करते हुए कहा कि वह देश के मूड को बयां कर रहे थे. पार्टी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘उन्होंने (शाह ने) लोगों को भाजपा और मोदी के पक्ष में मतदान करने का सुझाव दिया है. उनका कहना है कि जब आप भाजपा को वोट देंगे तो दिल्ली में मोदी सरकार बनेगी और सपा :उत्तरप्रदेश में: अपने आप गिर जाएगी.’’

शाह लीड प्रतिक्रिया तीन अंतिम शाह के बयान में कुछ गलत न देखने की बात कहते हुए भाजपा के उपाध्यक्ष और पार्टी का मुस्लिम चेहरा मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने वहां लोगों का अपमान किया. यह हिंदुओं और मुसलमानों का सवाल नहीं है. वह लोग जो वहां धर्मनिरपेक्ष का चोला ओढकर गए थे. उन्होंने पीडितों के घावों पर मरहम लगाने की बजाय उनके जख्मों पर नमक छिडका. इस अपमान का बदला लिया जाना चाहिए.

समाजवादी पार्टी ने कहा कि शाह की टिप्पणी से उसकी यह बात सही हुई है कि मोदी और उनके सहयोगी फासीवादी हैं. सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा, ‘‘भाजपा हताश है क्योंकि उन्हें उत्तर प्रदेश में वे नतीजे नहीं मिलेंगे, जिसकी वे उम्मीद पाल रहे थे. वह सपा सरकार को बर्खास्त करके दिखाये.’’ जदयू नेता के सी त्यागी ने कहा, ‘‘ये शब्द घृणा फैलाने वाले है. लोकतंत्र में आप केवल वोट के जरिये बदलाव की बात कर सकते हैं. अमित शाह की भाषा एक तानाशाह की भाषा है और वह उप्र के अल्पसंख्यक समुदाय को भयभीत कर रहे हैं.’’

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