नेशनल कंटेंट सेल
जरूरी नहीं है कि अपनी भावना बोलकर ही बयां की जाये. कई बार कुछ हादसे इतने भयानक दु:स्वप्न की तरह होते हैं कि उन्हें बयां तक करना मुश्किल होता है. दिल्ली के एक स्थानीय कोर्ट में ऐसा ही वाकया हुआ. दुष्कर्म पीड़ित 10 साल की मासूम इस कदर सदमे में थी कि, वह कोर्ट में बोल कर अपनी आपबीती तक नहीं बता सकी.
उसने कागज पर अपने साथ हुए कृत्य का स्कैच बनाकर कोर्ट में पेश किया. उसके साथ घर में ही ऐसा गंदा काम हुआ था कि कई साल बाद भी वह उस हादसे को भूल नहीं पा रही है. वह घटना उसके दिमाग में घर कर गयी थी. यही कारण था कि कोर्ट में वह कुछ नहीं बोल सकी, बल्कि इसका चित्र बनाकर दिखा दिया. कोर्ट ने भी उसे सबूत मानते हुए आरोपी को पांच साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माने का फैसला सुनाया.
दिल्ली की स्थानीय कोर्ट में बच्ची ने स्केच में एक घर दिखाया. घर के अंदर एक बच्ची हाथ में गुब्बारा पकड़े हुए है. जहां बच्ची को खड़ा हुआ दिखाया गया है वहीं एक कपड़ा पड़ा हुआ है. इस तसवीर को देख कर जज विनोद यादव ही नहीं कोर्ट में मौजूद अन्य लोग भी हिल गये. जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि स्केच को तथ्य माना जाये तो बच्ची के कपड़े उतार कर यौन शोषण किया गया है. इसलिए मैं पीड़िता को सक्षम गवाह मानता हूं.
यह घटना दिल्ली की है और पीड़िता कोलकाता की रहने वाली है. पीड़िता की मां की मौत हो गयी थी और पिता शराबी था. इसलिए दिल्ली में रहने वाली चाची उसे अपने घर ले आयी. यहां उसके चाचा ने ही उसे अपनी हवस का शिकार बना लिया. कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया गया. इससे तंग आकर पीड़िता घर से भाग गयी. 2014 में पीड़ित को एक बस से बरामद किया गया था. उसके बाद उसकी गवाही पर उसके चाचा को हिरासत में ले लिया गया. इसके बाद उसके चाचा को पांच साल की सजा सुनायी गयी.