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Diwali 2019 : 37 साल बाद बन रहा यह महासंयोग, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, श्रेष्ठ लाभ के लिए यह है चौघड़िया मुहूर्त

दीपावाली इस बार रविवार 27अक्‍तूबर को मनायी जाएगी. इसके अलावा इस दिन नक्षत्र और खगोलीय घटनाओं का संयोग इसे विशेष बना रहा है. जी हां, दिवाली पर सूर्यदेव का दिन, चित्रा नक्षत्र और अमावस्या का लगभग 37 साल बाद बना महासंयोग महालक्ष्मीजी की कृपा बरसानेवालाहै. साथ ही मां काली की आराधना भी शुभ फलदायी सिद्ध […]

दीपावाली इस बार रविवार 27अक्‍तूबर को मनायी जाएगी. इसके अलावा इस दिन नक्षत्र और खगोलीय घटनाओं का संयोग इसे विशेष बना रहा है.

जी हां, दिवाली पर सूर्यदेव का दिन, चित्रा नक्षत्र और अमावस्या का लगभग 37 साल बाद बना महासंयोग महालक्ष्मीजी की कृपा बरसानेवालाहै. साथ ही मां काली की आराधना भी शुभ फलदायी सिद्ध होगी.

हिंदू मतों के जानकारों की मानें, तो वर्ष की सबसे अंधेरी रात को दिवाली का मुख्य त्योहार मनाया जाता है हिंदू शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि कोई भी पूजा बिना दीपक जलाये पूरी नहीं मानी जाती है.

दिवाली पर मां लक्ष्मी को होंगी प्रसन्न करना है तो इस दिन घर की अच्छी तरह से सफाई करें. विशेषकर मुख्य द्वार को बढ़िया से साफ करें. इसके बाद मुख्य द्वार पर हल्दी का जल छिड़कें. भगवान गणेश को दूब और मां लक्ष्मी को कमल का पुष्प चढ़ाएं. घर के बाहर रंगोली अवश्य बनायें. रंगोली शुभ मानी जाती है.

मुख्य द्वार पर जूते और चप्पल बिल्कुल न रखें. रसोई में झूठे बर्तन बिल्कुल न छोड़ें. दिवाली के दिन घर की रसोई में भी दीपक जलाया जाता है. इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा का भी विधान है.

रामायण और महाभारत काल से ही देश में दीपावली की परंपरा है. मान्यता है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से वापस अयोध्या लौटने और पांडवों के 13 वर्ष के वनवासव अज्ञातवास से लौटने पर लोगों ने दीप जलाकर खुशी जतायी थी. स्कंद पुराणऔर विष्णु पुराण के मुताबिक, भगवान विष्णु और श्री लक्ष्मी के विवाह के उपलक्ष्य में दीपावली मनायी जाती है.

‘ब्रह्मपुराण’ के अनुसार आधी रात तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है. इस वर्ष कार्तिक अमावस्या का संयोग दो दिन हो रहा है. सोमवार की सुबह नौ बजे तक अमावस्या है. रविवार को दोपहर 12:13 से अमावस्या शुरू है. ऐसे में 27 अक्तूबर को ही दीपावली पूजन किया जाना चाहिएक्योंकि स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा का खास महत्व है.

जानकारों की मानें, तो दीपावली पूजा वृष लग्न में ही करनी चाहिए. इससे आर्थिक समृद्धि के साथ शांति और आनंद की प्राप्ति होगी. वृष लग्न सायं 6.21 से 8.18 बजे के बीच है. दीपावली पूजन 6:30 सायं के बाद शुरू हो जाए, तो अच्छा है.

सही समय जान लें

  • वृष लग्न सायं 6.21 से 8.18 बजे के बीच
  • स्थिर वृष लग्न : शाम 6:42 से रात्रि 8:37 बजे
  • निशिथ काल : शाम 5:40 से रात्रि 7:18 बजे
  • कर्क और सिंह लग्न : रात्रि 10:50 से 01:14 बजे के बीच
  • उत्तम लाभ के लिए चौघड़िया पूजा समय : 08:36 बजे से

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