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प्रसव के बाद होने वाली कई समस्याओं से निजात दिलाता है स्तनपान

इंसान के जन्म के बाद उसके जीवन के जो पहले हजार दिन होते हैं वह एक शिशु के लिए उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत आवश्यक होता है. लेकिन हमारे देश में व्याप्त कई अंधविश्वासों के जन्म के तुरंत बाद बच्चों को स्तनपान नहीं कराया जाता है, जिसके कारण वे कई तरह की […]

इंसान के जन्म के बाद उसके जीवन के जो पहले हजार दिन होते हैं वह एक शिशु के लिए उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत आवश्यक होता है. लेकिन हमारे देश में व्याप्त कई अंधविश्वासों के जन्म के तुरंत बाद बच्चों को स्तनपान नहीं कराया जाता है, जिसके कारण वे कई तरह की बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं और कई बार उनकी मौत भी हो जाती है. नेशन फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार बिहार में कुपोषित बच्चों की संख्या पूरे देश में तीसरे नंबर पर है. इसके कई कारणों में से एक है जन्म के तुरंत बाद बच्चे को स्तनपान ना कराना.

ब्रेस्टफीड करा बीमारियों को रखें दूर

यूनिसेफ द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार प्रति एक हजार बच्चों में से 48 शिशु की मौत जन्म के बाद हो जाती है, लेकिन इस मौत को स्तनपान के जरिये रोका जा सकता है. नेशन फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के अनुसार तीन वर्ष तक के 65 प्रतिशत बच्चों को जन्म के एक घंटे के अंदर मां का दूध नहीं मिल पाता है. बिहार में जन्म के एक घंटे के बाद शहरी इलाकों में मात्र 41.8 प्रतिशत बच्चों को मां का दूध मिलता है, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 34.2 प्रतिशत है.
चूंकि बिहार के बच्चों में कुपोषण की दर बहुत अधिक है, इसलिए सरकार और यूनिसेफ जैसी संस्था स्तनपान के प्रति लोगों को जागरूक कर रही है. इनका मामना है कि स्तनपान सिर्फ एक महिला की नहीं पूरे समाज की जिम्मेदारी है अत: इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए, यह हर बच्चे का अधिकार है. बिहार में पांच वर्ष तक के 43.9 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.

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डॉक्टरों की राय में बच्चे के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान बहुत जरूरी है यह उसे जानलेवा बीमारियों से बचाता है.
जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराने वाली महिलाओं के गर्भाशय में संकुचन की प्रक्रिया जल्दी होती है, जिससे प्रसव के बाद रक्तस्राव पर नियंत्रण में मदद मिलती है. साथ ही प्रसव के बाद होने वाली कई समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है.
प्रसव के बाद आम तौर पर महिलाओं का वजन बढ़ जाता है और दिनचर्या में बदलाव के कारण कई महिलाओं में अवसाद की स्थिति भी पैदा हो जाती है. ऐसे मामलों में स्तनपान कराना काफी लाभकारी सिद्ध होता है. इसके अलावे स्तनपान कराने से न सिर्फ नवजात और मां के बीच भावनात्मक जुड़ाव होता है बल्कि यह बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए भी जरूरी है.

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