गर्भाशय ट्रांसप्लांट से उन महिलाओं में उम्मीद जगी है, जिनके गर्भाशय नहीं हैं या खराब हो चुके हैं. इनमें अधिकतर कम उम्र की महिलाएं शामिल हैं, जो ट्रांसप्लांट को अपनी सभी समस्याओं का समाधान समझ रही हैं.
नेशनल कंटेंट सेल
देश में गर्भाशय के दो सफल ट्रांसप्लांट के बाद कई लोग इसके लिए सामने आये हैं. पिछली आंकड़े के मुताबिक भारत और विदेशों की 156 महिलाएं गर्भाशय ट्रांसप्लांट कराना चाहती हैं. ऐसे ऑपरेशन करने वाले सर्जन के अनुसार गर्भाशय ट्रांसप्लांट कराने वाली आधी से अधिक महिलाएं अविवाहित हैं. इस कारण इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गयी है कि ऐसे कठिन ट्रांसप्लांट के लिए ये महिलएं क्यों गंभीर हैं.
वहीं दूसरी ओर ट्रांसप्लांट के लिए अविवाहित महिलाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सर्जन ने इस विषय को सरकार के सामने उठाने और मंजूरी लेने का निश्चय किया है. सर्जन के हाथ अंतरराष्ट्रीय नियमों से बंधे हुए हैं. हालांकि गर्भाशय ट्रांसप्लांट के लिए भारत ने अभी तक अपने कोई नियम नहीं बनाये गये हैं.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की अध्यक्ष डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार कम उम्र की युवतियों को ट्रांसप्लांट की अनुमति देने के बाद देश में एक खतरनाक ट्रेंड शुरू हो सकता है. पूरी दुनिया में इस सर्जरी की सफलता की दर केवल 10 प्रतिशत है. साथ ही इसकी मंजूरी केवल कुछ ही जरूरी मौकों पर मिलनी चाहिए. इसके अलावा परिवारों को बच्चा गोद लेने सहित अन्य सुरक्षित तरीकों पर विचार करना चाहिए. उन्होंने बताया कि यह काफी जटिल और महंगा है. इसके अलावा यहां नियम-कायदों की कमी है.
अधिकतर अविवाहित महिलाएं चाह रहीं गर्भाशय ट्रांसप्लांट
देश में 18 से 30 साल की कई अविवाहित महिलाओं के या तो गर्भाशय नहीं है या वह काम नहीं करते हैं. ऐसे में इन महिलाओं को काफी मुश्किलें झेलनी पड़ती है. इन्हें माहवारी नहीं आती और इनके शादी के रिश्ते नहीं आते हैं. इस कारण ऐसी महिलाएं हीन भावना की शिकार हो जाती हैं. मुंबई की एक 28 वर्षीया युवती ने कहा कि मैं रिलेशनशिप में हूं और शादी से पहले मेरे होने वाले पति मेरा ट्रांसप्लांट करवाना चाहते हैं, तब ही शादी हो सकेगी. इनकी मां अपना गर्भाशय देने के लिए तैयार है. वहीं चंडीगढ़ की एक विवाहिता को उसके पति ने इसलिए तलाक दे दिया क्योंकि उसका गर्भाशय काम नहीं करता है. महिला ने कहा कि अगर मैं ट्रांसप्लांट करा लूं तो मेरे पति मुझे स्वीकार करने को तैयार हैं. मेरा परिवार जल्द से जल्द ट्रांसप्लांट करवाना चाहता है.
गर्भाशय ट्रांसप्लांट को गंभीरता से लेने की जरूरत
ट्रांसप्लांट के मुद्दे पर सर्जन डॉक्टर शैलेष पुंतांबेकर का कहना है कि गर्भाशय ट्रांसप्लांट का मुद्दा जितना बड़ा हम समझते हैं, यह उससे कहीं बड़ा है और गंभीर है. ट्रांसप्लांट करवाने वालों में अधिकतर महिलाएं पढ़े-लिखे परिवारों से हैं. गर्भाशय के सफल ट्रांसप्लांट के बाद इन महिलाओं में भी उम्मीद जगी है कि अब उनके भी अपने बच्चे हो सकते हैं. ऐसी महिलाओं के अभिभावक ऑपरेशन के लिए मनमाना पैसा भी देने के लिए तैयार हैं. ऐसे ट्रांसप्लांट का मुख्य उद्देश्य माहवारी की समस्या दूर करना नहीं बल्कि महिलाओं को बच्चा पैदा करने के योग्य बनाना है. इसलिए यह केवल विवाहित महिलाओं में किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि ट्रांसप्लांट किये गये गर्भाशय केवल 5 साल या जब तक बच्चा पैदा नहीं हो जाता, तभी तक ठीक रहता है. इसके बाद इस गर्भाशय को निकाल दिया जाता है. ऐसे में महिला अगर पांच साल के अंदर शादी नहीं कर पाये तो ट्रांसप्लांट का कोई फायदा नहीं होगा.