मुंबई : साल 2013 में भारतीय सिनेमा अपनी स्थापना के 100 साल का जश्न मना रहा है. इस साल बॉक्स ऑफिस पर छोटे बजट की फिल्मों की धूम रही वहीं 100 करोड़ के क्लब में सुपर स्टार्स की बादशाहत को नए कलाकारों ने चुनौती दी.शाहरुख खान की ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ इस रफ्तार से चली कि बॉक्स ऑफिस पर 100 के बजाय 200 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई करने वाली साल की पहली फिल्म बन गई.
राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फरहान अख्तर अभिनीत ‘भाग मिल्खा भाग’, रितिक रौशन की ‘कृष 3’, रणबीर कपूर की ‘यह जवानी है दीवानी’, रणबीर सिंह और दीपिका पादुकोण अभिनीत संजय लीला भंसाली की ‘गलियों की रासलीला रामलीला’ और हास्य प्रधान ‘ग्रैंड मस्ती’ की सफलता ने विश्लेषकों को चौंका दिया. ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गईं.
वह दिन लद गए जब फिल्में हफ्तों चलती थीं और गोल्डन जुबली या सिल्वर जुबली को सफलता का पैमाना माना जाता था. अब सप्ताहांत में बॉक्स ऑफिस तय करता है कि फिल्म सफल है या नहीं. व्यापार विश्लेषक विकास मोहन ने बताया ‘‘चेन्नई एक्सप्रेस सुपर हिट रही. 20 को आमिर की ‘धूम 3’ रिलीज हो रही है. निश्चित रुप से वह नए रिकॉर्ड बनाएगी. इस साल छोटी फिल्मों ने भी खासी कमाई की.’’अब्बास मस्तान निर्देशित ‘रेस 2’ 100 करोड़ के क्लब में जाने वाली साल की पहली फिल्म रही. राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फरहान अख्तर अभिनीत ‘भाग मिल्खा भाग’, रितिक रौशन की ‘कृष 3’, रणबीर कपूर की ‘यह जवानी है दीवानी’, रणबीर सिंह और दीपिका पादुकोण अभिनीत संजय लीला भंसाली की ‘गलियों की रासलीला रामलीला’ और हास्य प्रधान ‘ग्रैंड मस्ती’ ने भी 100 करोड़ की कमाई की.
एक्शन और कॉमेडी के बीच रोमांस गुम नहीं हुआ और सीक्वल ‘आशिकी 2’ में आदित्य राय कपूर तथा श्रद्धा कपूर ने यह बता भी दिया. असफल फिल्मों के ये दोनों गुमनाम कलाकार रातों रात सफलता का पर्याय बन गए. वाराणसी पर आधारित आनंद एल राय की ‘रांझणा’ ने दक्षिण भारतीय सितारे धनुष और सोनम कपूर को स्थापित कर दिया. 50 के दशक के बंगाल पर विक्रमादित्य मोटवानी ने ‘लुटेरा’ बनाई जिसमें सोनाक्षी सिन्हा ने अब तक के अपने करियर में सर्वश्रेष्ठ अभिनय किया.
सुशांत सिंह राजपूत की ‘काई पो चे’, वाईआरएफ की ‘मेरे डैड की मारुति’, फरहान अख्तर की ‘फुकरे’, रेमो डीसूजा की ‘एनी बडी कैन डांस’, अरशद वारसी की ‘जॉली एलएलबी’, कुणाल खेमू की ‘गो गोवा गॉन’ और अक्षय कुमार की ‘स्पेशल 26’ भी हिट रहीं. फिल्म निर्माता करणजौहर और किरण राव ने छोटे बजट की ‘द लंच बॉक्स’ और ‘शिप ऑफ थेसस’ बनाईं. दोनों ही फिल्में चलीं और आलोचकों ने उन्हें सराहा भी.इस साल बने सीक्वल-मिलान लूथरा की ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई’, सनी और अभय दयोल की ‘यमला पगला दीवाना’, संजय गुप्त की ‘शूटआउट एट वडाला’ और राम गोपाल वर्मा की ‘सत्या 2’ अपनी मूल फिल्मों जैसा करिश्मा नहीं कर पाईं. यही हाल ‘जंजीर’ और ‘हिम्मतवाला’ के सीक्वल का भी हुआ.
विश्लेषक विकास मोहन ने कहा ‘लोग लाभ कमाने के लिए सीक्वल बनाते हैं. लेकिन इस साल सीक्वल नहीं चले.’’ उन्होंने कहा ‘बड़े अभिनेताओं जैसे अक्षय कुमार या विद्या बालन की फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रहीं. इन्होंने साबित किया कि सफलता के लिए अच्छी कहानी जरुरी है.’’रणबीर कपूर अभिनीत ‘बेशरम’ में उनके माता पिता रिषी और नीतू कपूर ने उनके साथ काम किया. लेकिन ‘बेशरम’ और विद्या बालन, इमरान हाशमी अभिनीत ‘घनचक्कर’ दर्शकों का दिल नहीं जीत पाईं.विशाल भारद्वाज की ‘मटरु की बिजली का मनडोला’, एकता कपूर की ‘एक थी डायन’ और सनी दयोल अभिनीत ‘सिंग साब द ग्रेट’ भी हिट नहीं हुईं. पहली फिल्म ‘इशकजादे’ से हिट हुए अभिनेता अजरुन कपूर की ‘औरंगजेब’ तथा अक्षय कुमार की ‘बॉस’ ने भी निराश किया.