मुंबई : कई बार सेलीब्रिटी एक ऐसी लाइन खींचते हैं, जो आम आदमी के लिए एक सीख की तरह होती है. हॉलीवुड अभिनेत्री एंजेलीना जॉली द्वारा कैंसर के खतरे बचने के लिए करायी गयी सर्जरी की तरह ही एक मिसाल बॉलीवुड अभिनेत्री डायना हेडन ने पेश की है. यह मिसाल है कैरियर की व्यस्तता व जीवन की स्वतंत्रता में साम्य बनाते हुए विलंब से सुरक्षित गर्भधारण व स्वस्थ शिशु को जन्म देने की, जिसकी तैयारी उन्होंने आठ साल पहले कर ली थी. डायना हेडन ने 2013 में कॉलिन डिक से विवाह किया है.
डायना ने इस साल नौ जनवरी को आठ साल पहले सुरक्षित रखे गये अपने ही एग से मुंबई में एक सुंदर व स्वस्थ बेटी आर्या को जन्म दिया है. वह बच्ची अपेक्षाकृत औसत बच्चे से अधिक स्वस्थ है. डॉक्टरों के मुताबिक, जहां आम तौर पर बच्चे 2:6 केजी व 48 सीएम के जन्म के समय होते हैं, वहीं डायना की बेटी 3.7 केजी व 55 सीएम की थी. अब डायना हेडन ने इस पूरी कहानी पर से परदा उठाया है और साझा किया है कि आखिर उन्होंने क्यों और कैसे यह फैसला लिया.
आठ साल पहले का फैसला
डायना हेडन ने न्यूज चैनल एनडीटीवी से बातचीत में अपने फैसले और सोच के बारे में कई अहम बातें कही हैं. उन्होंने आठ साल पहले अपने एग को सेव करने के फैसले के बारे में खुलासा करते हुए कहा है कि मैं दरअसल सिर्फ एक बच्चे के लिए शादी नहीं करना चाहती थी. मैं परंपरागत चीज नहीं करना चाहती थी. ऐसे में आप स्वयं को क्या विकल्प देंगे, जिससे आप अपने उपर कोई दबाव महसूस नहीं करें.
उन्होंने कहा है कि जब मैंने अपने एग को फ्रिज्ड करवाया था, तो मैं जानती हूं कि तब मैं कैसा महसूस कर रही थी. मैं अपने को स्वतंत्र महसूस कर रही थी. इस फैसले के बाद मेरे पास समय था. इस सही फैसले से मैं अपने जीवन में आगे बढ़ी. डायना हेडन ने अक्तूबर 2007 से मार्च 2008 के बीच में अपने एग को सुरक्षित करवाया था. उसके पीछे उनका उद्देश्य था कि 40 के आसपास की उम्र में मां बनने में कोई दिक्कत नहीं हो.
कैसी रही पूरी प्रक्रिया
1997 में मिस वर्ल्ड चुनी गयी डायना हेडन ने एग को सेव कराने की पूरी प्रक्रिया के अपने अनुभव को साझा किया है. उन्होंने इसके लिए गाइनोकोलॉजिस्ट डॉ नंदिता पालशेतकर से संपर्क किया, जिनके क्लिनिक में उनके एग को सुरक्षित रखा गया. डॉ नंदिता ने भी इस तकनीक को महत्वपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा है कि पहले इस तकनीक में हमें 20 अंडों को शिशु के लिए सुरक्षित रखना पड़ता था, लेकिन अब छह से 10 अंडे तक में नये शिशु के जन्म के लिए पर्याप्त है.
एनडीटीवी की खबर के अनुसार, इस तकनीक के संबंध में डॉक्टर हृषिकेश पई का कहना है कि अब ट्रेंड बदल रहा है, जीवनशैली बदल रही है, लोग विलंब से विवाह कर रहे हैं, ऐसे में इस तकनीक का महत्व है. उनका कहना है कि दस साल पहले ये चीजें प्रासंगिक नहीं थी, पर अब प्रासंगिक हो गयी हैं.