।।उर्मिला कोरी।।
फिल्म : ढिश्कियाऊं
निर्देशक: सनमजीत सिंह तलवार
निर्माता: शिल्पा शेट्टी कुंदरा
कलाकार: हरमन बावेजा, सनी देओल, आयशा खन्ना और अन्य
रेटिंग: डेढ
गैंगस्टर फिल्मों की अगली कड़ी निर्मात्री शिल्पा शेट्टी कुंदरा की ढिश्कियाऊं हैं. नाम से यह तय है कि फिल्म में गोलियों का शोर है. वाकई फिल्म में सिर्फ शोर हैं. कहानी का कोई ठोस आधार नहीं है. सिर्फ स्टाइलिश ट्रीटमेंट पर ध्यान दिया गया है. फिल्म की कहानी विक्की की है. विक्की (हरमन) का बचपन मुश्किलों भरा रहा है. मां नहीं थी पिता का उस तरह का साथ नहीं मिल पाता है जिससे वह आसानी सेअपराध की दलदल में धंसता जाता है. विक्की अंडरवर्ल्ड से जुड़ जाता है फिर अंडरवर्ल्ड की हमेशा जैसी कहानी शुरू हो जाती है. जहां विक्की खुद को अंडरवर्ल्ड का सबसे बड़ा डॉन बनते देखना चाहता है. लकवा (सनी देओल)उसकी मदद करता है. पिछली गैंगस्टर फिल्मों की तरह यह फिल्म भी स्टाइलिश जरुर हैं लेकिन कहानी कमजोर है.
कमजोर कहानी फिल्म को बोझलि बना देती है जिससे न तो डायलॉग मजा देते हैं और न ही एक्शन ही दांतों तले उंगलियां दबाने के लिए मजबूर कर देता है. सब कुछ औसत से भी कमतर है. अभिनय के मामले में अपनी इस कमबैक फिल्म में भी वह छाप छोडने में नाकामयाब रहे हैं. एक्शन फिल्म में सनी देओल की मौजूदगी काफी उम्मीदें जगाती हैं लेकिन वह निराश करती है. प्रशांत नारायण जैसे अच्छे अभिनेता को पता नहीं कब उनकी प्रतिभा के अनुरूप फिल्में मिलेंगी. फिल्म का खराब म्यूजिक और बोझलि ट्रीटमेंट भी कोई उम्मीद नहीं जगाता है. सनमजीत सिंह तलवार का डायरेक्शन भी कमजोर है. कुलमिलाकर ढिश्किायाऊं रुपहले परदे पर फुस्सस है.