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Thursday, March 28, 2024

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स्टैंड अप इंडिया : 7 साल में 40,700 करोड़ का बांटा कर्ज, जानें क्या है स्कीम और कैसे मिलेगा फायदा

केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि यह मेरे लिए बेहद गर्व और संतोष की बात है कि 1.8 लाख से अधिक महिलाओं तथा अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उद्यमियों के लिए 40,600 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज की मंजूरी दी गई है.

नई दिल्ली : आर्थिक सशक्तीकरण और रोजगार सृजन के साथ जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से आज से करीब 7 साल पहले 5 अप्रैल, 2023 को स्टैंड-अप इंडिया की गई थी. अब इस योजना की अवधि को वर्ष 2025 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. ऊर्जावान, उत्साही एवं महत्वाकांक्षी अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग और महिला उद्यमियों को अपने सपनों को साकार करने में पेश आने वाली विभिन्न चुनौतियों के तथ्य को स्वीकार करते हुए स्टैंड-अप इंडिया का शुभारंभ महिलाओं और अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लोगों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और उन्हें विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र एवं कृषि से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित एक ग्रीनफील्ड उद्यम शुरू करने में मदद देने के लिए किया गया था.

1.8 लाख से अधिक को लोन

केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि यह मेरे लिए बेहद गर्व और संतोष की बात है कि 1.8 लाख से अधिक महिलाओं तथा अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उद्यमियों के लिए 40,600 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज की मंजूरी दी गई है. स्टैंड अप इंडिया योजना की 7वीं वर्षगांठ के अवसर पर सीतारमण ने कहा कि इस योजना ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है, जिसने सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की शाखाओं से मिलने वाले कर्ज के जरिए ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने में एक सहायक वातावरण के निर्माण को सुविधाजनक बनाया है और उसे जारी रखा है. स्टैंड-अप इंडिया योजना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुई है.

स्टैंड-अप इंडिया का उद्देश्य

  • महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के बीच उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देना.

  • विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित ग्रीनफील्ड उद्यमों के लिए कर्ज प्रदान करना.

  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की प्रति बैंक शाखा से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कम से कम एक उधारकर्ता और कम से कम एक महिला उधारकर्ता को 10 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक के बैंक लोन की सुविधा प्रदान करना.

स्टैंड-अप इंडिया की जरूरत क्यों

स्टैंड-अप इंडिया योजना को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों द्वारा उद्यम स्थापित करने तथा व्यवसाय में सफल बनाने समय-समय पर कर्ज एवं अन्य जरूरी सहायता प्राप्त करने में पेश आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है. इस दृष्टि से यह योजना एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रयास करती है, जो लक्षित क्षेत्रों को व्यापार करने और उस व्यापार को जारी रखने के लिए एक अनुकूल व सहायक वातावरण की सुविधा प्रदान करे. इस योजना का उद्देश्य सभी बैंक शाखाओं को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उधारकर्ताओं और महिला उधारकर्ताओं को अपना ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने हेतु ऋण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है.

Also Read: स्टैंड अप योजना महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में रही नाकाम

कैसे करें आवेदन

  • स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत सीधे बैंक शाखा में आवेदन कर सकते हैं.

  • स्टैंड-अप इंडिया पोर्टल (www.standupmitra.in) के माध्यम से भी कर्ज के लिए आवेदन किया जा सकता है.

  • लीड जिला प्रबंधक (एलडीएम) के माध्यम से आवेदन जमा करा सकते हैं.

किसे मिलेगा योजना का लाभ

  • 18 वर्ष से अधिक आयु वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों को इस योजना का लाभ मिलेगा.

  • इस योजना के तहत कर्ज केवल ग्रीन फील्ड परियोजनाओं के लिए उपलब्ध हैं. इस संदर्भ में ग्रीन फील्ड से आशय विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से जुड़ी गतिविधियों से संबंधित लाभार्थी द्वारा पहली बार स्थापित किए जाने वाला उद्यम है.

  • गैर-व्यक्तिगत उद्यमों के मामले में 51 फीसदी शेयरधारिता और नियंत्रणकारी हिस्सेदारी या तो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उद्यमी और महिला उद्यमी के पास होनी चाहिए.

  • उधारकर्ता किसी भी बैंक और वित्तीय संस्थान के समक्ष चूककर्ता नहीं होना चाहिए.

  • इस योजना में 15 फीसदी तक की मार्जिन मनी की परिकल्पना की गई है, जो केंद्रीय और राज्य स्तर की पात्र योजनाओं के साथ समन्वय बिठाते हुए प्रदान की जा सकती है. किसी भी हाल में, उधारकर्ता को परियोजना लागत का कम से कम 10 फीसदी हिस्सा अपने योगदान के रूप में जुटाना होगा.

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