Indigo Crisis: क्यों लड़खड़ा गई भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो? जानें असली सच्चाई

Indigo Crisis: भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो बड़े परिचालन संकट से जूझ रही है, जिसमें एफडीटीएल नियमों में बदलाव और पायलटों की कमी के कारण सैकड़ों उड़ानें रद्द हुईं. यात्रियों को महंगे किरायों और लंबी देरी का सामना करना पड़ा. डीजीसीए ने जांच शुरू की और एयरलाइन ने 10 से 15 दिसंबर तक संचालन सामान्य करने का वादा किया. संकट के पीछे लीन-स्टाफिंग मॉडल और रात की उड़ानों पर निर्भरता प्रमुख वजहें रहीं.

By KumarVishwat Sen | December 7, 2025 6:48 PM

Indigo Crisis: भारत की सबसे भरोसेमंद और सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो बीते एक सप्ताह से अपने इतिहास के सबसे बड़े परिचालन संकट से जूझती नजर आ रही है. सैकड़ों उड़ानों की अचानक रद्द हो जानें से यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. देशभर के एयरपोर्ट पर सवारियों के बीच अफरातफरी मची हुई है. आखिर इंडिगो में यह संकट कैसे पैदा हुआ और इसके पीछे असली वजहें क्या हैं? आइए, इसे विस्तार से जानते हैं.

नए एफडीटीएल नियमों ने बिगाड़ा संतुलन

नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने हाल ही में उड़ान ड्यूटी समय-सीमा (एफडीटीएल) नियमों में बड़े बदलाव किए. इन नए नियमों में पायलटों का साप्ताहिक आराम 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे कर दिया गया. साथ ही, रात की उड़ानों को सीमित किया गया और लगातार दो से अधिक नाइट-ड्यूटी पर रोक लगा दी गई. इन बदलावों का सीधा असर पायलटों की उपलब्धता पर पड़ा, जिससे एक पायलट द्वारा सप्ताह में उड़ाई जाने वाली उड़ानों की संख्या घट गई.

इंडिगो का लीन-स्टाफिंग मॉडल बना बड़ी समस्या

इंडिगो अपने परिचालन मॉडल को अधिक कुशल और किफायती बनाने के लिए लंबे समय से लीन-स्टाफिंग फॉर्मूला अपना रहा था. इस मॉडल में एयरलाइन न्यूनतम संख्या में पायलट और क्रू रखकर अधिकतम उड़ानें संचालित करती है. एयरलाइन ने अपने एयरबस ए320 बेड़े के लिए 2,422 कैप्टन की जरूरत बताई थी, लेकिन मौजूद संख्या सिर्फ 2,357 कैप्टन की थी. फर्स्ट ऑफिसर्स की कमी ने समस्या को और बढ़ा दिया. नए नियम लागू होने के बाद यह स्टाफिंग गैप एयरलाइन के लिए भारी साबित हुआ और उड़ानें रद्द होने का सिलसिला शुरू हो गया.

दो दिसंबर को संकट चरम पर

इंडिगो का उच्च विमान उपयोग मॉडल इसी स्टाफिंग पर निर्भर था. जैसे ही नियम बदले रात की उड़ानें संचालित करना मुश्किल हो गया और दो दिसंबर से बड़े पैमाने पर उड़ानों का रद्द होना शुरू हो गया. रविवार को कुल 2,300 में से 650 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं. दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे बड़े हवाई अड्डों पर यात्रियों की भीड़, लंबी कतारें, खोया हुआ सामान और यात्रियों का गुस्सा साफ झलक रहा था.

यात्रियों की बढ़ी परेशानी, टिकट हो गए महंगे

उड़ानों के रद्द होने से महत्वपूर्ण बैठकों, नौकरी इंटरव्यू और शादी समारोहों तक में यात्रियों को नुकसान उठाना पड़ा. इतना ही नहीं, संकट का असर हवाई किरायों पर भी दिखा. दिल्ली से बेंगलुरु तक की फ्लाइट का किराया 40,000 रुपये से ऊपर पहुंच गया. सरकार ने स्थिति को संभालते हुए छह दिसंबर को सभी रूट्स पर किराए की सीमा तय की.

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इंडिगो की सफाई और सुधार कदम

तीन दिसंबर को इंडिगो ने बयान जारी कर तकनीकी समस्याओं, मौसम, विंटर शेड्यूल और नए नियमों को जिम्मेदार बताया. सीईओ पीटर एल्बर्स ने पांच दिसंबर को माफी मांगते हुए 10 से 15 दिसंबर तक सामान्य संचालन बहाल करने का वादा किया. डीजीसीए ने अस्थायी छूट देते हुए एयरलाइन से पायलट ड्यूटी प्रबंधन और ऑपरेशन सुधार पर रिपोर्ट मांगी है. एयरलाइन ने संकट प्रबंधन समिति गठित की है, जो परिचालन बहाली की निगरानी कर रही है.

भाषा इनपुट के साथ

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