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फेरा उल्लंघन मामले में माल्या के खिलाफ नया गैर-जमानती वारंट

नयी दिल्‍ली : दिल्ली की एक अदालत ने शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ फेरा उल्लंघन मामले में कथित रूप से सम्मन से बचने के लिए बुधवार को एक गैर-जमानती वारंट जारी किया है, जिसकी तामील की कोई तारीख नहीं है. मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट सुमित दास ने यह आदेश तब पारित किया जब प्रवर्तन निदेशालय […]

नयी दिल्‍ली : दिल्ली की एक अदालत ने शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ फेरा उल्लंघन मामले में कथित रूप से सम्मन से बचने के लिए बुधवार को एक गैर-जमानती वारंट जारी किया है, जिसकी तामील की कोई तारीख नहीं है. मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट सुमित दास ने यह आदेश तब पारित किया जब प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि गत वर्ष चार नवम्बर को अदालत की ओर से जारी गैर जमानती वारंट की तामील नहीं हुई है एवं उसे इसके लिए और समय की जरूरत है.

विजय माल्या : उत्थान और पतन

अदालत ने मामले की अगली सुनवायी की तिथि आठ नवंबर तय की. हालांकि, अदालत ने एजेंसी को दो महीने के भीतर इस संबंध में एक प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. पिछले साल चार नवंबर को माल्या के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए अदालत ने कहा था कि माल्या का लौटने का कोई इरादा नहीं है और उनकी नजर में देश के कानून का कोई खास सम्मान नहीं है.

अदालत ने कहा था कि शराब कारोबारी माल्या के खिलाफ कड़ी प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए, क्योंकि उन पर कई मामले चल रहे हैं और वह उन मामलों में पेश होने से बच रहे हैं. अदालत ने यह भी कहा था कि माल्या ने भारत लौटने की इच्छा वाली जो याचिका दी थी कि वह भारत लौटना तो चाहते हैं, लेकिन भारतीय अधिकारियों द्वारा पासपोर्ट रद्द किए जाने की वजह से मजबूर हैं, वह ‘दुर्भावनापूर्ण’ और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग था.

अदालत ने यह भी कहा था कि चार अक्तूबर को उसने विशेष तौर पर यह कहा था कि माल्या अधिकारियों से संपर्क करके भारत लौटने से जुड़े आपात दस्तावेज हासिल कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया. कथित तौर पर लंदन में प्रवास कर रहे माल्या ने अदालत के समक्ष नौ सितंबर को कहा था कि वह भारत लौटना चाहते हैं, लेकिन पासपोर्ट निरस्त कर दिये जाने की वजह से नेक इरादा होने के बावजूद लौट पाने में अक्षम हैं.

इस पर प्रवर्तन निदेशालय ने चार अक्तूबर को कहा था कि माल्या का इरादा भारत लौटने का नहीं है और उनका पासपोर्ट उनके अपने व्यवहार के कारण रद्द किया गया. निदेशालय के अनुसार, माल्या को दिसंबर, 1995 में लंदन की कंपनी बेनेटन फार्मूला लिमिटेड के साथ हस्ताक्षरित एक अनुबंध के सिलसिले में पूछताछ के लिए चार बार समन किया गया. यह अनुबंध किंगफिशर ब्रांड के विदेशों में प्रचार के लिए किया गया था.

जब माल्या इन समन के जवाब में पेश नहीं हुए, तो आठ मार्च, 2000 को एक अदालत के समक्ष एक शिकायत दर्ज करायी गयी. बाद में माल्या के खिलाफ एफईआरए के तहत आरोप तय किये गये.

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