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खुशखबरी : शीर्ष 200 भारतीय कंपनियों ने चीनी कंपनियों को पछाड़ा

एसएंडपी की रपट की खास बातें सूचीबद्ध कंपनियों पर चीन की सरकार का प्रभाव भारत से ज्यादा भारत का कर पूर्व लाभ चीन की शीर्ष कंपनियों की तुलना में 20 प्रतिशत कम अगले दो-तीन साल में भारत की कंपनियां और बेहतर प्रदर्शन करेंगी बुनियादी ढांचे के खास्तहाल के कारण मेक इन इंडिया की राह में […]


एसएंडपी की रपट की खास बातें


सूचीबद्ध कंपनियों पर चीन की सरकार का प्रभाव भारत से ज्यादा


भारत का कर पूर्व लाभ चीन की शीर्ष कंपनियों की तुलना में 20 प्रतिशत कम


अगले दो-तीन साल में भारत की कंपनियां और बेहतर प्रदर्शन करेंगी


बुनियादी ढांचे के खास्तहाल के कारण मेक इन इंडिया की राह में बाधा


बुनियादी ढांचे की बेहतरी पर निर्भर करेगा कंपनी का बेहतर परिचालन

सिंगापुर : भारत की शीर्ष 200 कंपनियों ने देश में बुनियादी सुविधाओं की कमी के बावजूद अपनी चीनी प्रतिद्वंदी कंपनियों को मात दी है. यह भारत के आर्थिक भविष्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. यह जानकारी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की एक रपट में दीगयी है.

यह रपट ‘इंडियाज टॉप कंपनीज सेट टू गेन इवन एज चाइनाज कंटिन्यू टू फील द पेन’ और ‘द मिसिंग पीस इन इंडियाज इकोनोमिक ग्रोथ स्टोरी : रोबस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर’ नाम से आज प्रकाशित हुई है.

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के आकलनकर्ता मेहुल सुक्कावाला ने कहा, ‘‘बाजार पूंजीकरण के लिहाज से भारत की शीर्ष 200 कंपनियों का उनकी चीनी प्रतिद्धंदी कंपनियों से किए गए हमारे आकलन के मुताबिक उनके सामने यह आया है कि चीन में सूचीबद्ध कंपनियों में सरकारी प्रभाव भारत के बजाय कहीं ज्यादा है.’ सुक्कावाला ने कहा कि इस वजह से कंपनियों के पूंजीगत खर्च के लचीलेपन पर सीधा असर पड़ता है जिससे कमजोर लाभ और कभी कभी ज्यादा कर्ज केरूप में यह दिखाई देता है.

भारत और चीन के बीच निजी क्षेत्र का अंतर महत्वपूर्ण है. निजी कंपनियां शुद्धऋण में करीब 75 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती हैं और भारत की 200 शीर्ष कंपनियों का कर पूर्व लाभ चीन की शीर्ष कंपनियों की तुलना में 20 प्रतिशत से कम है.

भारतीय निजी कंपनियों ने भारत की सरकारी कंपनियों और चीन की कंपनियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है.

एसएंडपी को अगले दो से तीन सालों में भारत की शीर्ष कंपनियों के और बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है. लेकिन भारतमें परिचालन की स्थितियों में बेहतरी उसके बुनियादी ढांचे पर निर्भर करेगी जो अभी भी अपर्याप्त बनी हुई है. भारत के बुनियादी ढांचे की खस्ता हालत की वजह से ही भारत सरकार के महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के सामनेबड़ी बाधाएंखड़ी हुई हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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