नियमित समय अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा करके गोल्ड इटीएफ में करें निवेश
पिछले कुछ सालों से सोना एक तो बहुत महंगा है, ऊपर से इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव भी बहुत ज्यादा हो रहा है. इसलिए अगर आपको शादी-ब्याह वगैरह के लिए सोना खरीदना हो या इसमें निवेश करना हो, तो सही विकल्प यही है कि इसे किस्तों में खरीदा जाये. यह आपके बजट में भी होगा और बाजार के उतार-चढ़ाव के जोखिम से भी आप काफी हद तक बच सकेंगे. धीरे-धीरे सोना जमा करने के कई तरीके हो सकते हैं. आप नियमित समय अंतराल पर सोने के छोटे सिक्के या छड़ खरीद सकते हैं. यह पुराना तरीका है. आप चाहें तो कुछ आधुनिक तरीके भी अपना सकते हैं.
गोल्ड इटीएफ
गोल्ड इटीएफ स्टॉक एक्सचेंज पर उपलब्ध होते हैं, जहां वे सूचीबद्ध होते हैं. इसमें नियमित अंतराल पर निवेश में अनुशासन जरूरी होता है, क्योंकि एक तय तारीख को निवेश अपने आप नहीं हो जाता है, बल्कि शेयरों की तरह इन्हें आपको खरीदना पड़ता है. खरीदा गया सोना यूनिटों के रूप में आपके डीमैट खाते में जमा हो जाता है. एक यूनिट आम तौर पर एक ग्राम की होती है. कुछ फंड आधा ग्राम की यूनिट की भी सुविधा देते हैं.
अगर आपको गोल्ड इटीएफ में निवेश झंझट भरा लगता हो, तो आप गोल्ड सेविंग फंड चुन सकते हैं. ये गोल्ड इटीएफ में निवेश करनेवाली म्यूचुअल फंड योजनाएं होती हैं. इसमें आप एसआइपी (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड आपके बैंक खाते से तय तारीख को पैसा लेकर खुद निवेश कर देता है. इसमें निवेश बहुत अनुशासित तरीके से कर पाना संभव हो पाता है, जिससे आपके सोने की कीमतों का औसतीकरण बेहतर ढंग से हो पाता है.
गोल्ड इटीएफ में सोने की डिलिवरी आप तभी ले सकते हैं, जब यह एक निश्चित मात्र (जैसे एक किलोग्राम) या उसके गुणांक में हो. वहीं गोल्ड सेविंग फंड में भौतिक सोने की डिलिवरी संभव नहीं होती है. लेकिन इसका भी उपाय है. मान लीजिए कि आपको किसी शादी के लिए गहने बनवाने हैं, तो आप अपने गोल्ड फंड को आंशिक रूप से या पूरी तरह बेच दें और मिले हुए पैसों से गहने खरीद लें. कमोडिटी एक्सचेंज के जरिये भी सोने की खरीद-बिक्री की जा सकती है. लेकिन यह छोटे निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं है.
आभूषण विक्रेताओं की योजनाएं
आजकल कई आभूषण विक्रेता भी स्वर्ण बचत योजनाएं और स्वर्ण संचय योजनाएं चला रहे हैं. ये ग्राहकों को तरह-तरह के बोनस की पेशकश कर लुभाते हैं. आभूषण विक्रेता योजना की मियाद के आखिरी की एक या दो किस्तों का भुगतान करने का दावा करते हैं, जो लोगों को सहज ही लुभाता है. लेकिन ऐसी योजनाएं गोल्ड इटीएफ का मुकाबला नहीं कर सकतीं, क्योंकि ये समतुल्य भौतिक सोने से समर्थित नहीं होतीं. आभूषण विक्रेताओं की योजनाएं एक तरह से सिर्फ सावधि जमा (एफडी) योजनाएं हैं, जिनमें परिपक्वता के समय संचित राशि सोने में बदल दी जाती है.
जिन अतिरिक्त किस्तों का भुगतान आभूषण विक्रेता करते हैं, उसे आप अपने पैसे का ब्याज मानिए जो आपको अपने पैसे को एफडी करने से मिलता. ज्यादातर आभूषण व्यवसायी आपके पैसे का इस्तेमाल अपने कामकाज के लिए पूंजी की जरूरत पूरी करने के वास्ते करते हैं. इस तरह की योजनाओं की सबसे अहम बात यह है कि सोने की खरीद परिपक्वता के समय के भाव पर की जायेगी. यानी, अगर आपने आज एक साल की योजना में निवेश शुरू किया है, तो आपको जो सोना मिलेगा वह ठीक एक साल के बाद के भाव पर होगा.
इस तरह की योजनाएं तभी फायदेमंद साबित हो सकती हैं, जब मियाद खत्म होने पर सोने के दाम तुलनात्मक रूप से नीचे चल रहे हों. लेकिन यह बहुत कुछ किस्मत आजमाने की तरह है. सही तरीका यह है कि सोने की कीमतों का औसतीकरण (एवरेज) किया जाये. इसके लिए आपकी हर किस्त के भुगतान के साथ ही सोना खरीद लिया जाना चाहिए. लेकिन अभी चल रही ज्यादातर योजनाओं में ऐसा नहीं होता है. कुछ योजनाओं में यह हो सकता है, पर इसके लिए हर बार ऊंचा प्रबंधन शुल्क लिया जाता है.
एक और अहम मसला यह है कि इस तरह के निवेश से निकलना आसान नहीं होता. कई योजनाएं तो मियाद पूरी होने से पहले निवेश बंद करने की अनुमति भी नहीं देती हैं. अगर अनुमति देती भी हैं, तो आपको बोनस किस्तों के लाभ से वंचित कर दिया जाता है. आप संचित राशि से केवल सोना ही खरीद सकते हैं, आपात स्थिति में भी आप इस राशि का अन्यत्र इस्तेमाल नहीं कर सकते. इसके अलावा, वे सिर्फ सोने के गहने (यहां तक कि सिक्के या छड़ भी नहीं) खरीदने की ही अनुमति देते हैं, वो भी उनके ही स्टोर से. ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे आभूषण विक्रेताओं को अतिरिक्त आय होती है. जिसमें गहनों की खुदरा बिक्री से होनेवाला मुनाफा, गढ़ने का खर्च और टांका शामिल होता है.
जब आप किसी आभूषण विक्रेता की योजना में निवेश करते हैं, तो खुद को उसके जोखिम में शामिल कर लेते हैं. अगर उसका व्यवसाय डूबता है, तो आप भी प्रभावित हो सकते हैं.
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