नयी दिल्ली : राजधानी स्थित एक उपभोक्ता अदालत ने अनुचित व्यापार कार्यप्रणाली के लिए हिन्दुस्तान लीवर की खिंचाई करते हुए उसे निर्देश दिया है कि वह डिटर्जेंट खरीदने वाले एक व्यक्ति को 5.5 लाख रुपये का भुगतान करे.
मामले के अनुसार इस क्रेता ने हिन्दुस्तान लीवर द्वारा शुरु की गई एक योजना के तहत 5 लाख रुपये का इनाम जीता था, लेकिन कंपनी ने उसे यह इनाम नहीं दिया. नयी दिल्ली जिला उपभोक्ता वाद निवारण फोरम ने व्यवस्था दी कि लॉटरी के जरिए बिक्री बढ़ाने के लिए शुरु की गई योजना दोषपूर्ण थी और कहा कि यह वह समय था जब शुरु किए जाने से पहले इस तरह की पेशकश को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा विनियमित किया जाता है और उसकी जांच पड़ताल की जाती है तथा एक नियामक मशीनरी स्थापित की जाती है, ताकि जनता से धोखाधड़ी को रोका जा सके.
सीके चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंत्रालय से मुद्दे से निपटने को कहा. पीठ ने कहा कि उपभोक्ता वाद निवारण मशीनरी इससे नहीं निपट सकती. यह (उपभोक्ता अदालत) नहीं रोक सकती. यह केवल मुआवजा प्रदान कर सकती है या घटना के बाद स्कीम बंद करने का सीधे निर्देश दे सकती है.
कंपनी ने अपनी योजना के लिए निकाले विज्ञापन में कहा था कि यदि कोई सिर्फ एक्सेल के पैक में 10-10 निशान वाला एक कपड़ा पाता है तो उसे 5 लाख रुपये का इनाम मिलेगा. हालांकि, दिल्ली निवासी शिकायतकर्ता नाथू सिंह राजपूत ने कहा कि उसे डिटर्जेंट के पैक में 10-10 निशान वाला कपड़ा मिला. उसने इस बारे में कंपनी को सूचित किया, लेकिन उसे इनाम नहीं दिया गया.
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