वाशिंगटन : विश्व की विभिन्न सरकारों द्वारा एप्पल से मांगे गए आंकड़ों की जानकारी एप्पल ने सार्वजनिक कर दी है और साथ ही उसने अमेरिकी सरकार के उस प्रतिबंध आदेश का भी विरोध किया है जिसके तहत अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की जानकारी का सीमित खुलासा करने का निर्देश दिया गया है.
आईफोन और आईपैड का निर्माता एप्पल ने भी अन्य अमेरिकी तकनीकी दिग्गज कंपनियों के इस तरह के आंकड़े जारी करने के बाद अपने आंकड़ों का भी खुलासा किया है. उसने दुनिया भर की सरकारों से मिलने वाले अनुरोधों के बारे में अपनी पहली रिपोर्ट जारी कर दी है.
सात पृष्ठों के एक दस्तावेज में कल एप्पल ने कहा, अधिकतर अनुरोध आपराधिक जांचों से संबंधित थे. इनमें कानून एजेंसियों द्वारा डकैती, गुमशुदगी या अपहरण और किसी को आत्महत्या से रोकने से जुड़े मामलों में किए अनुरोध शामिल हैं.
एप्पल ने कहा अमेरिकी सरकार ने हमें अपने आग्रहों के बारे में बहुत सीमित जानकारी ही साझा करने की अनुमति दी है. उसने हमें कहा है कि जारी किए जाने वाले कुल आंकड़ों की संख्या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े आदेशों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा खाता आधारित आदेशों को मिलाकर एक हजार से ज्यादा न हो. इस दस्तावेज में कहा गया कि इस साल एक जनवरी से 30 जून तक एप्पल को अमेरिकी सरकार की ओर से एक हजार से दो हजार के बीच अनुरोध मिले. ये अनुरोध दो से तीन हजार तक खातों से जुड़े थे.
एप्पल ने यह बताने में असमर्थता जताई कि यदि कोई आंकड़े जारी किए गए तो वे कितने थे? उसने बस यही कहा कि ये शून्य से एक हजार मामलों तक के बीच थे. दस्तावेज में कहा गया, हम इस प्रतिबंध आदेश का कड़ा विरोध करते हैं. साथ ही कहा गया कि एप्पल इन आंकड़ों को जारी करने के लिए दबाव बनाता रहा है.
एप्पल की ओर से कहा गया, इस दिशा में हमारे भरसक प्रयासों के बावजूद अभी तक हम ऐसे किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए हैं, जिससे हमें लगे कि हम अपने ग्राहकों के यह जानने के अधिकार को सुरक्षित कर रहे हैं कि आखिर कितनी बार और किन स्थितियों में हमने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को डाटा उपलब्ध करवाया.
एप्पल ने कहा कि, अमेरिकी सरकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बजाय वार्ता और सिफारिश ही ऐसे उत्पादक रास्ते हैं, जिनके जरिए इन नीतियों में बदलाव लाया जा सकता है. एप्पल ने कहा कि उसे कभी भी पैट्रियट एक्ट (देशभक्ति कानून) की विवादास्पद धारा 215 के तहत अनुरोध नहीं मिला है. इस धारा के तहत किए गए अनुरोध के जरिए सरकार को व्यापक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक निरीक्षण का अधिकार मिल जाएगा. एप्पल ने कहा, यदि हमें ऐसा आदेश दिया जाता है तो हम इसे चुनौती दे सकते हैं.
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