नई दिल्ली : डाक बैंक स्थापित करने के प्रस्ताव को ‘पासा पलटने वाला’ प्रस्ताव बताते हुए उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि इससे देश में हर किसी को बैंकिंग दायरे में लाने में जबरदस्त मदद मिलेगी और साथ ही इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बचत व निवेश का स्तर बढ़ेगा.
उल्लेखनीय है कि डाक विभाग ने बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया है. रिजर्व बैंक द्वारा छांटी गई इकाइयों को जनवरी, 2014 में लाइसेंस दिए जाने की संभावना है.
एसोचैम ने कहा, ‘‘यह सरकार के हाथ में एक विशाल संसाधन तंत्र है और देश के लगभग हर दूर.दराज के इलाकों तक इसकी पहुंच है. ग्रामीण इलाकों में 45 प्रतिशत परिवारों में प्रति परिवार महज 100 रुपये की मासिक बचत से 12,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि जमा हो सकती हैं.’’
उद्योग मंडल ने ग्रामीण इलाकों में मनरेगा और अन्य सरकारी भुगतानों को भारतीय डाक बैंक से संबद्ध करने का सुझाव दिया. इसके अलावा, उसने डाक बैंक व प्रस्तावित महिला बैंक के बीच संपर्क स्थापित कर प्रत्येक डाक घर बैंक शाखा में कम से कम एक महिला कर्मचारी को रखने का भी सुझाव दिया.
भारतीय डाक पहले ही गांवों में कई तरह की वित्तीय सेवाओं को बखूबी चला रहा है. राष्ट्रीय लघु बचत, आवर्ति जमा, लोक भविष्य निधि और डाक बीमा जैसे वित्तीय उत्पाद डाक घरों द्वारा संचालित किये जा रहे हैं. हाल के वषों में महात्मागांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत चार करोड़ खाते डाक घरों के जरिये संचालित किये गये. यह मनरेगा के तहत कुल कोष का 40 प्रतिशत रहा है.
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