नई दिल्ली: औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संबंधी नियमों में कुछ ढील देने के लिए एक कैबिनेट नोट जारी कर विभिन्न मंत्रयलों के विचार मांगे हैं. विभाग ने वालमार्ट तथा टेस्को जैसी वैश्विक कंपनियों की कुछ मांगों को मानने के विचार से यह कदम उठाया है.
सूत्रों ने बताया कि डीआईपीपी ने विभिन्न मुद्दों पर सम्बद्ध मंत्रलयों की राय मांगी है. इनमें सहायक बुनियादी सुविधाएं :बैक एंड इनफ्रास्ट्रक्चर: में न्यूनतम निवेश को पांच करोड़ डालर पर सीमित रखना, वैश्विक खुदरा कंपनियों को दस लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों में भी स्टोर खोलने की अनुमति देना, क्षेत्र में एफआईआई की अनुमति देना तथा किसी इकाई के 10 लाख डालर के निवेश को पार करने के बाद एसएमई से सामान खरीदने के बारे में अस्पष्टता समाप्त करना है.
सूत्रों का कहना है कि विभाग ने वित्त, उपभोक्ता मामलात तथा एमएसएमई आदि मंत्रलयों से इस नोट पर शीघ्र जवाब देने को कहा है. सूत्र ने कहा, विभाग अंतिम नोट को इस सप्ताह कैबिनेट के विचार के लिए पेश कर सकता है. अगर कैबिनेट इस मामले में इसी सप्ताह विचार नहीं करता है तो इस पर मानसून सत्र के बाद ही विचार होगा क्योंकि यह राजनीतिक रुप से संवेदनशील मुद्दा है.
उल्लेखनीय है कि एफडीआई से जुड़े मुद्दों को डीआईपीपी ही देखता है और उसने हाल ही में कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण भी जारी किए थे. वालमार्ट, टेस्को, केरफॉर, भारती रिटेल तथा ट्रेंट आदि खुदरा कंपनियों ने पिछले महीने उद्योग मंत्री आनंद शर्मा के साथ बैठक में बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई नियमों में ढील देने का मुद्दा उठाया था.
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