नयी दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुधंती भट्टाचार्य ने आज कहा कि बैंक बासेल-3 पूंजी पर्याप्तता नियमों पर खरा उतरने के लिये विभेदकारी मताधिकार वाले शेयर जारी करने पर विचार कर सकते हैं.स्टेट बैंक चेयरपर्सन का यह बयान ऐसे समय आया है जब सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लगातार पूंजी उपलब्ध नहीं कराती रह सकती.
एक सम्मेलन के दौरान अलग से संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘अब यह साफ दिखाई दे रहा है .. उन्हें (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों) खास तरह मत अधिकार के बारे में सोचना होगा. यह समय रुपरेखा तय करने का है कि बैंकों को कितना करने की जरुरत है और उन्हें कितना समर्थन मिलेगा.’’
सरकार ने कल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी को विभिन्न चरणों में कम करके 52 प्रतिशत पर लाने और बैंकों के लिये 1.60 लाख करोड रपये जुटाने की अनुमति देने का फैसला किया है ताकि सरकारी बैंकों को बासेल तीन नियमों के मानदंडों पर खरा उतारा जा सके.
बैंकिंग क्षेत्र में मजबूती की वकालत करते हुए अरुधंती ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि देश में तीन-चार बडे बैंक हों.उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लिये यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि यहां तीन-चार बडे बैंक हों.. हमें बैंकों को साथ आने और आपस में बातचीत की अनुमति देनी चाहिए. पूर्व में भी हमने देखा है कि दबाव से कुछ विलय हुये ..यह बैंकों के लिये बेहद महत्वपूर्ण है कि वे स्वयं निर्धारित करें कि उनका सही भागीदार कौन हो सकता है.’’ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की प्रमुख के अनुसार, ‘‘यह बेहतर होगा कि अच्छे बैंकों का अच्छे बैंकों में विलय हो.’’
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