नई दिल्ली : तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम ( ओएनजीसी ) का कजाखस्तान के तेल क्षेत्र में अमेरिकी कंपनी कोनोकोफिलिप्स की हिस्सेदारी खरीदने का पांच अरब डालर का सौदा शायद सिरे नहीं चढ़ पाये क्योंकि भारत, कजाखस्तान को इस सौदे को मंजूरी देने के लिए संतुष्ट नहीं कर पाया.
जानकार सूत्रों ने बताया कि कजाखस्तान के पास देश के सबसे बड़े तेल क्षेत्र काशगन में कोनोकोफिलिप्स की 8.4 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद में पहले बोली लगाने का अधिकार है और चीनी कंपनी को इसकी बिक्री से पहले वह इसका इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा है.
उद्योग जगत के जानकारों ने ओएनजीसी के इस सबसे बड़े अधिग्रहण में विफलता के लिए भारत सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है क्योंकि चीन की तरह भारत सरकार ने सौदे को सिरे चढाने के लिए शीर्ष स्तर पर प्रयास नहीं किए.
ओएनजीसी ने पिछले साल नवंबर में कोनोकोफिलिप्स में हिस्सेदारी खरीदने का सौदा किया था. लेकिन कैबिनेट ने इस सौदे को अभी मंजूरी नहीं दी है. तेल मंत्रलय ने जनवरी में कैबिनेट नोट जारी किया लेकिन यह अभी तक कैबिनेट के समक्ष नहीं आया है. वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी कजाखस्तान के राष्ट्रपति से इस बारे में चर्चा नहीं की जबकि चीन इस बारे में बहुत आ्रकामक ढंग से कदम बढा रहा है.
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री इस महीने कजाखस्तान के राष्ट्रपति को सौदे के बारे में पत्र लिख सकते हैं, लेकिन इस कदम को काफी देर से और बहुत छोटी पहल माना जा रहा है.
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