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अभी नहीं होगा एयर इंडिया का निजीकरण : अशोक राजू

नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और हेलीकॉप्टर कंपनी पवन हंस को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कराया जाएगा, जिससे इनमें पारदर्शिता व कार्यकुशलता में सुधार लाया जा सके. नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने आज यह जानकारी दी. मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया का […]

नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और हेलीकॉप्टर कंपनी पवन हंस को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कराया जाएगा, जिससे इनमें पारदर्शिता व कार्यकुशलता में सुधार लाया जा सके. नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने आज यह जानकारी दी.
मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया का निजीकरण फिलहाल नहीं किया जाएगा, लेकिन भविष्य में इसके निजीकरण की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और इस संबंध में विभिन्न पक्षों से सुझाव मिले हैं. नागर विमानन नीति के मसौदे में एएआई और पवन हंस को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने के प्रस्ताव किए गए हैं. मसौदे को राजू ने यहां जारी किया.
राजू ने कहा कि एयर इंडिया के लिए भावी रुपरेखा तैयार करने के लिये एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी. यह सुनिश्चित करना जरुरी है कि सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया अपनी पूर्ण क्षमता का दोहन कर सके. उन्होंने कहा कि लागत और कार्यकुशलता के लिहाज से मंत्रलय के अधीन सभी संगठन प्रतिस्पर्धी बनें, यह सुनिश्चित करने के लिए एक मिशन मोड परियोजना भी शुरु की जाएगी. एएआई के शेयरों को बाजार में सूचीबद्ध कराने के बाद इसका निगमीकरण किया जाएगा जिससे इसकी कार्यकुशलता में सुधार लाया जा सके और पारदर्शिता बढ़े. राजू ने कहा कि पवन हंस के शेयरों को भी सरकार इसी उद्देश्य से बाजार में सूचीबद्ध कराना चाहती है.
जानिए एएआइ और पवनहंस के बारे में
गौरतलब है कि मिनीरत्न दर्जा प्राप्त भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण देशभर में 125 हवाईअड्डों का प्रबंधन करती है, जिनमें 11 अंतरराष्ट्रीय, 81 घरेलू और आठ सीमा शुल्क हवाईअड्डे शामिल हैं. साथ ही यह सेना के हवाई क्षेत्रों में 25 सिविल एनक्लेव का भी प्रबंधन करती है.कंपनी ने हवाईअड्डों को आधुनिक बनाने के लिए मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलूरु और नागपुर हवाईअड्डों पर संयुक्त उद्यम लगाए हैं.
एएआइ संपूर्ण भारतीय वायु क्षेत्र पर हवाई यातायात प्रबंधन सेवाएं भी मुहैया कराती है. वहीं दूसरी ओर, पवन हंस की स्थापना 1985 में की गई थी और इसमें 51 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत सरकार के पास है, जबकि 49 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी के पास है.कंपनी की स्थापना मुख्यरुप से तेल क्षेत्र में उत्खनन परिचालन के लिए हेलीकाप्टर सहयोग सेवाएं उपलब्ध कराने, सुदूर एवं पहाड़ी इलाकों में सेवाएं देने व पर्यटन को बढावा देने के लिए चार्टर सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई थी.
इस दौरान, पवन हंस एशिया की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर कंपनियों में से एक बनकर उभरी है और इसके पास 47 हेलीकाप्टरों का बड़ा है.

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