नयी दिल्ली : विश्व खाद्य दिवस के मौके पर ग्रीनपीस ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसका नाम है ‘होप ब्रूइंग- कोटागिरी टू काचीबारी1’. इसमें यह बताया गया है कि कैसे भारत में कई चाय बागान पारिस्थितिकी से ताल-मेल बिठा कर चल रहे हैं.
रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और तमिलनाडु के चाय बागानों की सफलता की कई कहानियां संकलित हैं. जो बताती हैं कि जैविक तरीके से लागत कम रख कर चाय का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.
ग्रीनपीस का मानना है कि चरणबद्ध तरीके से चाय की खेती में रसायनों का इस्तेमाल बंद किया जाये. गैर कीटनाशक प्रबंधन ही चाय की खेती का भविष्य है. ग्रीनपीस की मांग है कि चाय बोर्ड और वाणिज्य मंत्रलय नीति बना कर इसमें सहयोग करें.
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