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FAI ने 33,691 करोड़ रुपये के खाद सब्सिडी बकाया पर जतायी चिंता, मार्च तक 60,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान

नयी दिल्ली : उर्वरक कंपनियों के संगठन भारतीय उर्वरक संघ (एफएआई) ने सब्सिडी बकाया के भुगतान में देरी पर चिंता व्यक्त की है. सब्सिडी बकाया बढ़कर 33,691 करोड़ रुपये हो गया है और चालू वित्त वर्ष के अंत तक इसके बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये तक हो जाने का अनुमान है. एफएआई के महानिदेशक सतीश चंद्र […]

नयी दिल्ली : उर्वरक कंपनियों के संगठन भारतीय उर्वरक संघ (एफएआई) ने सब्सिडी बकाया के भुगतान में देरी पर चिंता व्यक्त की है. सब्सिडी बकाया बढ़कर 33,691 करोड़ रुपये हो गया है और चालू वित्त वर्ष के अंत तक इसके बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये तक हो जाने का अनुमान है. एफएआई के महानिदेशक सतीश चंद्र ने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द सब्सिडी बकाये का भुगतान कर देना चाहिए, क्योंकि इसमें देरी से निर्माताओं की नकदी की स्थिति पर असर पड़ रहा है.

सरकार यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तय करती है और बाद में निर्माताओं को एमआरपी तथा उत्पादन लागत के बीच अंतर की क्षतिपूर्ति देती है. केंद्र सरकार गैर-यूरिया उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) भी प्रदान करती है. एफएआई ने कहा कि 25 उर्वरक कंपनियों द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, एक नवंबर, 2019 तक कुल 33,691 करोड़ रुपये बकाया है. इन बकायों में से 20,853 करोड़ रुपये डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) के तहत हैं और शेष 12,838 करोड़ रुपये डीबीटी के अलावा अन्य कारणों से है.

चंद्र ने कहा कि यदि अनुपूरक अनुदान के जरिये मंत्रालय को अतिरिक्त धन नहीं दिया गया, तो मार्च तक उर्वरक सब्सिडी 60,000 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 की शुरुआत में यह बकाया 39,000 करोड़ रुपये था. एफएआई ने कहा कि इससे कार्यशील पूंजी की आवश्यकता और ब्याज लागत में वृद्धि हुई है.

सरकार ने उर्वरक सब्सिडी को पूरा करने के लिए लगभग 80,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जिसमें से लगभग 56,000 करोड़ रुपये यूरिया के लिए और शेष 26,000 करोड़ रुपये गैर-यूरिया उर्वरकों के लिए पोषक तत्व पर आधारित सब्सिडी है.

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