मुंबई : लगातार एक ही जैसा काम करते रहने से कर्मचारियों के बीच अक्सर बेमन या मशीनी तरह से काम करते रहने की समस्या देखी जाती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने ‘नयी दिशा’ कार्यक्रम शुरू किया है. इसका मकसद उसके करीब 2.6 लाख कर्मचारियों के निजी और कामकाजी जीवन के बीच बेहतर तालमेल बिठाना है.
बैंक के मुख्य विकास अधिकारी और उप प्रबंध-निदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम में कर्मचारियों के कामकाजी-निजी जीवन के बीच बेहतर संतुलन पर जोर दिया जायेगा. इसमें कर्मचारी के एकदम करीबी परिवार के सदस्यों को शामिल किया जायेगा. साथ ही यह कार्यक्रम कर्मचारियों को सुविधा देगा कि वह बैंक को बता सकें कि कोई कर्मचारी काम समाप्त कर समय पर नहीं जा पा रहा है.
कुमार ने कहा कि हमने महसूस किया है कि एक समय के बाद हमारे कर्मचारी विशेषकर शाखाओं में काम करने वाले कर्मचारी मशीनी तरीके से काम करना शुरू कर देते हैं, मतलब कि बेमन से काम करते हैं. इससे ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाएं प्रभावित होती हैं, साथ ही कर्मचारियों का मनोबल भी टूटता है. एसबीआई की पिछली प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य ने भी कर्मचारियों को ध्यान में रखते हुए उनके हित में कई कदम उठाये थे.
इसमें एसबीआई के भीतर काम करने वाले पति-पत्नी का स्थानांतरण करने से पहले जगह चुनने की छूट देना, ससुराल वालों की देखभाल के लिए बीमारी की छुट्टियां विस्तारित करना, बच्चों की परीक्षा के दौरान लंबी छुट्टी की सुविधा देना इत्यादि शामिल हैं. कुमार ने कहा कि इस कार्यक्रम को तैयार करने के लिए हमने बाहरी मदद भी ली है और शीर्ष प्रबंधन के साथ मिलकर इसे दिसंबर से लागू करना शुरू कर दिया है. इसमें बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि करीब 350 प्रशिक्षित कर्मचारियों को बैंक के हर कर्मचारी तक पहुंचने की जिम्मेदारी दी गयी है. वह कर्मचारियों के साथ पांच से छह घंटे के एक सत्र में बातचीत करेंगे. सत्र के अंत में इसमें शामिल लोग और अपने जीवनसाथियों के साथ एक रात्रिभोज करेंगे.
कुमार ने कहा कि आधे से ज्यादा कर्मचारी इस कार्यक्रम में शामिल होना शुरू कर चुके हैं और इस कार्यक्रम को 15 मार्च तक खत्म कर लिया जायेगा. प्रशिक्षण के अंत में कर्मचारियों को एक शपथ पर हस्ताक्षर करने होंगे जो बैंक के मूल्यों के अनुरूप है और इसे पिछले साल ही जारी किया गया था.
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