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रांची : केंद्र सरकार के अंतरिम बजट पर विपक्ष का वार, कहा – बजट में वोटरों को रिझाने की नाकाम कोशिश

रांची : केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अंतरिम बजट पेश किया. बजट में की गयीं घोषणाओं पर झारखंड के राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दीं. सत्ता पक्ष ने बजट की सराहना करते हुए जहां इसे आमलोगों के हित वाला बजट बताया़ वहीं, विपक्ष ने इस बजट को सिर्फ घोषणाओं का पुलिंदा बताया. कांग्रेस समेत अन्य […]

रांची : केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अंतरिम बजट पेश किया. बजट में की गयीं घोषणाओं पर झारखंड के राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दीं. सत्ता पक्ष ने बजट की सराहना करते हुए जहां इसे आमलोगों के हित वाला बजट बताया़ वहीं, विपक्ष ने इस बजट को सिर्फ घोषणाओं का पुलिंदा बताया.
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने कहा कि यह बजट मतदाता को ध्यान में रख कर रिझाने की नाकाम कोशिश है. वहीं पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि देश की जनता जानती है कि यह बजट एक चुनावी जुमला है.
बजट नहीं, चुनावी भाषण है : हेमंत
प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह बजट नहीं, चुनावी भाषण है. चुनाव को देेखते हुए मतदाताओं को जाल फेंका गया है. केंद्र ने चारा फेंका है, एक शिकारी की तरह वह जनता को देख रही है. इस बजट से देश का भला नहीं होनेवाला है. मध्यम वर्ग के लिए इस बजट में कुछ नहीं है.
मध्यम वर्ग की परेशानी कम नहीं होनेवाली है. किसानों को पैसा दे रहे हैं, लेकिन महंगाई ऐसी बढ़ने वाली है कि कुछ नहीं होगा. श्री सोरेन ने कहा कि किसानों से कहीं ज्यादा व्यापारियों को दिया है. देश के 12 करोड़ किसान, खेतिहर मजदूर, गरीब खैरात नहीं चाहता है, वह अपनी आय बढ़ाना चाहता है.
सरकार की नीयत ही खराब है. विगत दो वर्षों में हजारों किसानों ने आत्महत्या की. बेरोजगारी की दर अब तक सबसे ज्यादा बढ़ी है. बजट में निराश हुए नौजवानों के लिए कुछ नहीं किया गया है. श्री सोरेन ने कहा कि सरकार अपना पीठ थपथपा रही है. राजनीतिक एजेंडे पूरा करने और व्यापारियों का काम करने में लगी है. आने वाले समय में ऐसी सरकार को जनता सबक सिखायेगी.
किसानों व आमलोगों के साथ छलावा है बजट : माले
माले राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने कहा है कि बटाईदार-छोटे व सीमांत किसानों को वार्षिक अनुदान से भी वंचित रखा गया. मनरेगा मजदूरों की मजदूरी वृद्धि पर बजट में कुछ भी नहीं है. शिक्षा, स्वास्थ्य की राशि में कटौती की गयी है. यह बजट किसानों व जनता के साथ छलावा है़
लोक लुभावन बजट पेश करने की कोशिश : डॉ अजय
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने केंद्र सरकार के बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने आय के अतिरिक्त स्रोत पैदा किये बिना लोक लुभावन बजट पेश करने की कोशिश की है. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कर संग्रह की कमी से जूझ रही सरकार के बजट में यह नहीं बताया गया है कि योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए राशि कहां से आयेगी. इस चुनावी बजट से देश की अर्थव्यवस्था में किसी तरह का सुधार लाना मुमकिन नहीं लगता है.
जुमलेबाजी वाला अंतरिम बजट है : सुखदेव
कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत ने अंतरिम बजट को भ्रामक करार दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने दो करोड़ को रोजगार देने की बात कही है, जो तथ्य से परे है. सरकार ने यह नहीं बताया कि वर्ष 2018 में विदेशी निवेशकों ने 82 हजार 552 करोड़ भारतीय बाजार से वापस ले लिया. सरकार ने फिस्कल डिफिसिट को 3.2 पर रखने की बात कही. जबकि यह अधिक है और डिरेल हो गया है. 2022 तक किसानों की आय डबल कैसे होगी. यह नहीं बताया, सिर्फ जुमलेबाजी बजट में भी पेश कर दिया है.
सरकार की विदाई के समय का चुनावी बजट : प्रदीप
झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने कहा महंगाई कम करने का प्रयास केंद्र सरकार ने पहले क्यों नहीं की. अब जब उनकी विदाई का समय आ गया है, तो चुनावी बजट पेश किया है. इस बजट से केंद्र सरकार ने देश के आक्रोशित किसानों और गरीबों के गुस्से को ठंडा करने का प्रयास किया है, पर देश की आम जनता सब जानती है कि ऐसा पहले क्यों नहीं किया गया. 2019 के चुनाव में जनता सरकार को सबक सिखा देगी.
कैश फॉर वोट वाला बजट : यशवंत सिन्हा
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि देश की जनता जानती है कि यह बजट चुनावी जुमला है. बजट का आंकड़ा भरोसे के काबिल नहीं है. पहले भी मोदी सरकार के आंकड़े भरोसे के लायक नहीं रहे हैं. अंतरिम बजट और मुख्य बजट में फर्क होता है. अंतरिम बजट सिर्फ तीन-चार माह के खर्च के लिए पेश किया जाता है, ताकि रूटीन काम चल सके. यह कैश फॉर वोट वाला बजट बनाया गया है. यशवंत सिन्हा ने कहा कि अप्रैल-मई में चुनाव होंगे. इसके बाद जो सरकार आयेगी, नया बजट बनायेगी. जन कल्याण को स्वार्थ से जोड़ना ठीक नहीं है. कुछ मिला कर यह बजट सिर्फ घोषणाओं का पुलिंदा है़
केंद्र सरकार का बजट गरीब व जन विरोधी: राजद
झारखंड प्रदेश राजद के प्रदेश प्रवक्ता डॉ मनोज कुमार ने कहा कि यह बजट जन विरोधी और गरीब विरोधी है. इस बजट में बेरोजगारों व युवाओं के लिए कुछ भी नहीं है. यह बजट लोकलुभावन व पूंजीपतियों के हित के लिए बनाया गया है. 2022 तक देश के सभी गरीबों को घर देने की घोषणा सिर्फ छलावा मात्र है. गरीबों के रोजगार के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है. देश के लाखों बेरोजगार युवा के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं. सरकार ने किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने की बात की है, किंतु जो भूमिहीन हैं उनका क्या होगा?
आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट पेश नहीं की गयी : कुणाल
झामुमो विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि वर्षों पुरानी परंपरा थी कि बजट पेश करने के पहले देश की आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट, जो कि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट का हिस्सा होती थी, उसे पेश नहीं किया गया. चार सालों में यह सरकार किसानों को उनकी फसल की न्यूनतम दर नहीं दे पायी. अब 6000 रुपये बांट रही हैं. किसान बिचौलियों को औने-पौने दामों पर फसल बेचने को मजबूर हैं. बेरोजगारी दर 45 वर्षों में सबसे उपर 6.2% है. फिस्कल डिफिसिट लगातार तीसरे वर्ष भी इस सरकार ने अपने लक्ष्य से दूर रखा है.
अंतरिम बजट सिर्फ चुनावी जुमला : माकपा
माकपा ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार का अंतरिम बजट सिर्फ चुनावी जुमला है. इसमें झूठे आंकड़े पेश किये गये हैं. माकपा राज्य सचिव मंडल सदस्य रामचंद्र ठाकुर के अनुसार, जनता के साथ इस अंतरिम बजट में क्रूर मजाक किया गया है. किसानों के लिए की गयी घोषणा धोखा देनावाली है. रोजगार देने के लिए कोई विजन इस बजट में नहीं है. शिक्षा व स्वास्थ्य पर भी कोई खास जोर नहीं दिया गया है, जबकि इस क्षेत्र में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है़ कुल मिला कर यह बजट सिर्फ लोकलुभावन है.
रोजगार सृजन के लिए ठोस कदम क्या होंगे, यह बजट में स्पष्ट नहीं : देवशरण
आजसू के केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा कि अंतरिम बजट में सरकार ने भरोसा दिलाया है कि रोजगार सृजन के लिए सभी ठोस कदम उठाये जायेंगे, लेकिन यह कदम कौन से होंगे इस बारे में बहुत स्पष्ट नहीं किया गया है. वहीं छोटे किसानों को 6000 की सहायता राशि देने भर से कृषि के क्षेत्र में बदलाव की बहुत उम्मीदें नहीं की जा सकती.
वैसे मध्यम वर्गीय परिवार पर सरकार ने ध्यान देने की कोशिश की है. सरकार ने एक लाख डिजिटल गांव बनाने की घोषणा की है. यह काम कैसे और किन आधार पर पूरे किये जायेंगे, इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए था.
अंतरिम बजट में सरकार के पास बहुत विकल्प नहीं होते फिर भी पीयूष गोयल ने सभी क्षेत्रों को बजट में शामिल करने का प्रयास किया है. हालांकि जो महत्वपूर्ण मसला है- रोजगार और शिक्षा का, उस ओर केंद्र सरकार को विशेष और स्पष्ट नजरिया सामने रखना चाहिए था. रोजगार को लेकर बड़ी तादाद में युवाओं की शिकायत है.

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