नयी दिल्लीः सरकार ने कालाधन पर और शिकंजा कसा है. बिल्डर, ब्रोकर और फिल्म जगत से जुड़ी इकाइयां भी अब जांच के घेरे में हैं. अवैध धन को वैध बनाने में जुटी विभिन्न इकाइयों की पड़ताल की जा रही है. विभिन्न जांच एजेंसियां सैकड़ों संदिग्ध कंपनियों की जांच कर रही हैं. इसी कड़ी में सेबी ने 331 सूचीबद्ध इकाइयों को कारण बताओ नोटिस थमाया है. इन पर फर्जी कंपनियों के रूप में धन के लेन-देन का आरोप है. इसके अलावा उन सौ गैर सूचीबद्ध इकाइयों पर कार्रवाई शुरू की गयी है, जिन पर अवैध धन को सफेद बनाने के लिए शेयरों में काम करने का संदेह है.
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मालूम हो कि संदिग्ध कंपनियों के शेयरों में कारोबार पर पाबंदी के निर्णय को कंपनियों ने प्रतिभूति व अपीलीय न्यायाधिकण में चुनौती दी थी. न्यायाधिकरण का फैसला कंपनियों के पक्ष में आया, लेकिन जांच को आगे बढ़ाने की अनुमति दी. कुछ ब्रोकरों की भूमिका जांच के घेरे में आने से शेयर बाजार में अफरा-तफरी जैसी स्थिति है. कई छोटे ब्रोकर संदिग्ध कंपनियों की सूची में हैं. उनके बड़े ब्रोकरेज समूह से जुड़ाव की जांच सेबी कर रहा है.
सेबी की 331 कंपनियों के शेयरों के कारोबार पर प्रतिबंध के निर्णय से बाजार में घबराहट है. सेबी के अलावा इन कंपनियों की जांच आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय भी कर रहे हैं. इनमें से कई कंपनियों पर नोटबंदी के बाद नकदी लेन-देन में शामिल होने का भी संदेह है. अफसरों ने बताया कि करीब 500 इकाइयों की जांच की जा रही है.
सूत्रों के मुताबिक, जिन कंपनियों ने संदिग्ध कंपनियों के रूप में काम किया, वे जमीन-जायदाद, जिन्स और शेयर ब्रोकिंग, फिल्म और टेलीविजन, प्लांटेंशन और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं से संबद्ध हैं. संदिग्ध कंपनियों से इन संपर्कों और सभी संदिग्ध लेन-देन के बारे में बताने को कहा गया है.
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